Monday, 31 July 2017

सपेरा के हर सांप,नाग ना होला

किस्मत  एतनो  खराब ना होला
बाउर एतनो भी शराब ना होला

जिनगी  एगो  सवाल  हियऽ  हो
जेकर  कवनो  जवाब  ना होला

जहां  मिले  उंहे   सिखल  करऽ
अनुभव से बड़ किताब ना होला

कुछ  लोग  सोचेले , कुछ देखेले
हरेक के दिल में , आग ना होला

नुन  तेल  रोटी आ कपड़ा लाता
गरीब  के  जादा  खाब ना होला

कुछ ढ़ोरऊ त कुछ पनिया होले
सपेरा के हर सांप,नाग ना होला

लामा  दांत तऽ  कुकुरो के होला
नोह बढ़ावे से केहु बाघ ना होला

बात  इंहा चरितर के बा "मैकश"
कपड़ा  के  दाग,  दाग ना होला

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

No comments:

Post a Comment