Monday, 10 July 2017

ए_संघाती_चईत_के_दिन_याद_आवता

#ए_संघाती_चईत_के_दिन_याद_आवता
______________________________

चाना के सतुइ होखे आम के चटनी होखे
चईत के दिन होखे , गेंहू के  कटनी होखे
लिपाईल पोताइल खेत में खरिहान होखे
टेक्टर भा ठरेसर पे बाझल किसान होखे
पसिनाइल देह प ऊपर से मनमानी होखे
ठंडा-ठंडा धइल, घइला में के पानी होखे
मन माने ना ,कसहु मन के मनावता
ए संघाती चईत के दिन याद आवता।

बेंजु डुगडुगी झाल के संग बइठकी होखे
गीत गवनई होखे खूब चईता चईती होखे
लोग खटिया बिछा गाछी त सुस्तात होखे
मन भंगुआये जब, भीतर हवा जात होखे
लइका सेयान , बुढ़वन के बतकूचन होखे
चार लोग जुटी , टुनटुनाइन में मगन होखे
बहता बेयार त मन के लसलसावता
ए संघाती चईत के दिन याद आवता।

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

No comments:

Post a Comment