Monday, 10 July 2017

देखऽ सभकुछ बदलल बाटे

कुछ  हवा  तऽ  बहल   बाटे
देखऽ सभकुछ बदलल बाटे

बड़ी  सुनसान लागऽता गांव
बुढ़  पुरनिया  लो मरल बाटे

जे  गरीबी  देख  के  भागल
आज पइसा देख सटल बाटे

अइसे  तु  कबो आवेलऽ ना
आज फेर , का  घटल बाटे ?

अलगा अलगा बनता खाना
घर  केहुके  फेर  जरल बाटे

अदिमि अदिमि त जरऽ ताटे
खाली ,गाछ वृक्ष फरल बाटे

बड़  छोट के  चिन्हत नइखे
लइका तहार इहे पढ़ल बाटे

बुद्धि तहार ना भइल मैकश
खाली  देह  हाथ बढ़ल बाटे

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

No comments:

Post a Comment