Monday, 10 July 2017

यादें : दादाजी की

#बाबा_आज_रहतऽ_त_केतना_आछा_होइत
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कहीं से अइतऽ त दू चार गो पाई देतऽ
रोवती तऽ चुप कराये ला मिठाई देतऽ

घुघुआ  माना  खेलइत अपना गोदी में
बइठाके हाथे खिअइत अपना गोदी में

कइसे भुलाई केतना हमें मानत रहलऽ
ठंडा लागत रहे त गाती बान्हत रहलऽ

हम जानीले हमें छोड़ के ना जइबऽ तू
हमरा बिस्वास बा कि  फेरु अइबऽ  तू

बजारी से जाके एगो पुतुल लिया द तू
सोनचीरईया के , काथा फेर सूना द तू

तहार सनेह के भाषा हम पढ़ ना पवनी
अखरेला कि जादा कुछ कर ना पवनी

काश जवन सोच तानी फेर से साचा होइत
बाबा ! आज  रहतऽ त केतना आछा होइत

(स्व० राजबलम राय) बाबा ..ताहर नाम ऊँचा रहे।
आज बड़ी याद आवत बारs

#लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
#रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

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