Monday, 10 July 2017

शून्य से शून्य तक

शून्य से शून्य तक

सन १९६२ के बात ह। पटना के साइंस कॉलेज के गणित के शिक्षक लोग इंटर में पढ़े वाला एगो लइका से बहुत परेशान रहे, औरी आए दिन उ लोग ओइजा के प्राचार्य डा. नागेन्द्र नाथ के लगे शिकायत करो की ढेर दिन से उ लइका अइसन अइसन सवाल पूछेलाs की पूरा क्लास के सामने हमनी के ना बता पायेनी सन, आ बेइज्जती हो जाता। नागेन्द्र जी भी गणित के शिक्षक रह चुकल रहलें एहिसे लइका के आपन ऑफिस में बोलवेलें। उहो गणित के सवाल पूछे लगलें आ सबके जवाब सही रहे। फिर ओकरा से इंटर के ऊपर के सवाल पूछल गइल, ओकरो सही सही जवाब उनकर आँख के सामने बनत मिलल। जेतना सवाल पूछलें उ आपन काबिलियत के हिसाब से उ सबके जवाब उ लइका देहलस। एतने ना उ सब के बनावे के एक से अधिक तरीका भी बतावे लागल। एतना विलक्षण प्रतिभासंपन्न लइका के देख के प्राचार्य एतना प्रभावित भइलें की ओइजा के नियम कायदा सब बदल के ओकरा के सीधे बी.एस.सी. (गणित ऑनर्स) के आखिरी साल के परीक्षा दिलवाइलें, इंटर फर्स्ट इयर के बाद। उ परीक्षा में उ लइका अव्वल आइल सबसे। ओकरा अगला साल ओकरा के सीधे एम.एस.सी. फाइनल इयर के परीक्षा दिलवावल गइल। ओ बेर ले उ लइका के लेके एतना हल्ला रहे, की उ सब परीक्षार्थी लोग, जे गोल्ड मेडल के उम्मीद में रहल ओ साल परीक्षा न दिहल। उ परीक्षा में भी अव्वल आइला के बाद उ पहिला अइसन लइका रहे जे मेट्रिक कइला के २ साल में एम.एस.सी. में भी सबसे ज्यादा अंक लाकर कीर्तिमान बनईलस।
उ प्रतिभावान लइका के नाम रहे डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह।

२ अप्रैल १९४२ में लाल बहादुर सिंह आ लहासो देवी के जेठ बेटा के रूप में बसंतपुर गाँव में जन्मल वशिष्ठ जी, अबले जेतना परीक्षा देले रहलें मैट्रिक से लेके एम.एस.सी ले उ सबमे उ अव्वल रहलें। १९ साल के उम्र में सबसे कम उमिर के पी.एच.डी. करे के भी इन्हां के ही कीर्तिमान रहे ओ बेरा ले। सन १९६३ में वशिष्ठ जी अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्वविधालय में शोध करे खातिर गइनी। ओइजा गइला के बाद ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी’ पर शोध कइनी जेकरा चलते भारत के वैज्ञानिक लोग भी इन्हां के हुनर के लोहा मान लिहल। ओकरा बाद इंहा के नासा में बहुत महत्वपूर्ण काम करे के मौक़ा भी मिलल। लोग के इहो कहनाम बा की इंहा के प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन के कोनो सिद्धांत के भी चुनौती देवे के भी कहले रहनी।

१९७५ ले सब ठीक चलत रहे अमेरिका में बाकिर एक दिन अचानके इंहा के कोनो छोट सहकर्मी के बहुत जोर से डांटे लगनी, जेकरा में ओकर गलती ना रहे। लोग के उँहा के व्यवहार तनी अटपटा लागल। जांच खातिर भेजल गइल वशिष्ठ जी के। डॉक्टर (मनोचिकित्सक) कहलस की इंहा के सिज़ोफ्रेनिआ भइल बा, आ ओकर पहिला चरण बा । जे कुछ दवाई आ ध्यान देहला पे परेशान न करी। डॉक्टर के मना कइला के बादो इंहा के कुछ दिन में भारत आ गइनी आ आ रुड़की तकनीकी कॉलेज (अब आई.आई.टी.) में पढ़ावे लगनी। ओकरा बाद कानपूर फेनु कलकत्ता (अब कोलकाता) भी गइनी। दिन पर दिन मानसिक हालत बिगड़त गइल। डॉ. दिनकर मींज, जे इंहा के इलाज़ में लागल रहनी जब १९७६-७७ के करीब इन्हां के कांके भर्ती करेके के पड़ल के कहनाम रहे की पत्नी से तलाक भी एगो कारण रहे। घर वाला लोग से भी ढेर लापरवाही भइल रहे। इंहा के दवाई समय पे ना लीं न केहु ध्यान देवे वाला रहे। लोग इंहा के मानसिक बेमारी के बेमारी ना मनलस आ दिन पर दिन हालत खराब होत चल गइल। सरकार भी कोनो मदद ना कइलस, इंहा तक ले की इन्हां के भर्ती करा के सरकार शुल्क देवे में भी कोताही बरते लागल।

आज के समय इन्हां के ई हालत बा की दिन भर कैलकुलस के सवाल करत रहेनी बइठल बइठल। कबो तबला बजावेनी त कबो बांसुरी, कबो दोहा लिखेनी आ केहु भेंट करे आवला त पईसा मांग देवेनी। इन्हां के अभी पटना में आपन सेवानिवृत भाई के परिवार आ माई के साथे रहेनी। अकाजी सुकाजी सरकार एक दू हाली इन्हां पे ध्यान देहलस.,बाकिर इन्हां के प्रतिभा हमनी के छोट बुद्धि वाला राजनेता लोग के उपेक्षा के पात्र बनल। घर के मुर्गी दाल बराबर से भी गइल हालत कर दिहल लोग।

दुसरका फ़ोटो जे लागल बा, उन्हें के सब लोग चीन्हते होई। स्टीफेन हॉकिंस के फ़ोटो हs। कुछ लोग के लाग सकेला की दुनु फ़ोटो के एक साथ देखावल अतिश्योक्ति बा। बाकिर जहाँ तक इतिहास कहता, दुनु लोग विलक्षण प्रतिभा के धनी ह लोग आपन आपन क्षेत्र में। स्टीफन जी के जन्म भी १९४२ में भइल रहे, पारिवारिक सुख भी दुनु जाना के जिंदगी में ढेर न रहल। दुनु जाना के बिमारी भी भइल। वशिष्ठ जी के बेमारी त अइसन रहे जे की ढंग से ध्यान दिहल गइल रहीत या अबहियो दीहल जाओ त ठीक हो जाई. स्टीफन जी के बेमारी अइसन बा की उंहा के हिल भी नइखी सकत। लेकिन आज के समय में उँहा के नाम गिनती के वैज्ञानिक लोग में बा, आ गूगल करके रउआ देख लीन की वशिष्ठ जी के केतना याद रखले बा लोग।

हमनी के भोजपुरिया लोग के स्टीफन से कम नइखीं वशिष्ठ जी। गणित के अइसन जादूगर हईं की लोग इन्हां के आर्यभट्ट के अवतार मानत रहे। बाकिर आज लोग इन्हां के भुला देले बा।

आज के समय में कोनो नेता के अगर हर्निया के ऑपरेशन भी करावे के होला त उ सरकारी खर्चा पे बिदेश दउड़ के चल जाला। विज्ञान सम्मलेन होला त कबो कबो खर्चा १५-२० लाख के कर देवे में केहु के कोनो परेसानी नइखे, आ होखे के भी ना चाहीं, बाकिर विज्ञान के एतना बड़ चमत्कार के लोग के इतना उपेक्षा मिलल देख, मन खराब हो जाला। गणित के जादूगर वशिष्ठ नारायण जी, जे आपन जीवन शून्य से शुरू करके आपन प्रतिभा के परचम पूरा दुनिया में लहरा देले रहनीं आज वापस उहे शून्य पे आ गइल बानी।

उन्हां के स्वास्थ्य खातिर हमनी के तरफ से ढेरो शुभकामना आ सरकार से निहोरा बा की इन्हां के भी नीमन से नीमन डॉक्टर/अस्प्ताल/ देश जहां भी हो सके इलाज कराईं।

-  अनिमेष कुमार वर्मा

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