होने लगा है मजहबी अब तो दोस्ती का रंग भी
मजहब ने बदल दिया उनके सोचने का ढंग भी
दिल खोलकर बोलने से कब रोकता है सच्चा प्यार
जरूरी बहुत है किसी रिश्ते मे प्यार और उमंग भी
आ समझे एक दूजे को मिलकर दोनो एक हो जाए
मै रंग जाउ तेरे रंग और तू कभी रंग जा मेरे रंग भी
बँध कर दोनो एक दूजे से छू लेते है आसमान भी
मजहबी तलवारें काँटती है डोर के संग पतंग भी
मनोज कुमार
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