Saturday, 28 April 2018

होने लगा है मजहबी अब तो दोस्ती का रंग भी

होने लगा है मजहबी अब तो दोस्ती का रंग भी
मजहब ने बदल दिया उनके सोचने का ढंग भी

दिल खोलकर बोलने से कब रोकता है सच्चा प्यार
जरूरी बहुत है किसी रिश्ते मे प्यार और उमंग भी

आ समझे एक दूजे को मिलकर दोनो एक हो जाए
मै रंग जाउ तेरे रंग और तू कभी रंग जा मेरे रंग भी

बँध कर दोनो एक दूजे से छू लेते है आसमान भी
मजहबी तलवारें  काँटती है डोर के संग पतंग भी

                                        मनोज कुमार

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