मेरे अजीज मित्रों में से एक
(सुबोध और प्रिया) द्विवेदी का आज
"आजीवन गठबंधन दिवस" है
शब्दों का संयोग तो देखिए
प्रिया + सुबोध = सुबोध / प्रियबोध
सु = अच्छा
प्रिय = अच्छा , प्यारा
प्रिय = सु
(प्रिया = सु )बोध = सुबोध / प्रियबोध
अपने अजीज मित्र प्रियबोध के लिए
इस विशेष दिवस पर
अपने जज्बातों को अल्फ़ाजों मे उकेरने की एक कोशिश
हँसता मुस्कुराता ऐ मेरे यार तेरा यह प्यार रहे
आजीवन गठबंधन और यह दिवस गुलजार रहे
गुल खिले गुलदस्तो सा खुश्बू का साया रहे
जीवन के गुलशन मे तेरे हरदम ये बहार रहे
मेरा तेरा बोध तू मेरी प्रिया अब दोनो "प्रियबोध" हुए
छूटे ना अब साथ ये अपना जब तक ये संसार रहे
मै कैसे कहूं कि कितना , खिल उठेगा मेरा मन
श्रद्धा के दो शब्द मेरे अगर आपको स्वीकार रहे
मनोज कुमार
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