बेरी बेरी आँचर से, हावा खुबे हाँकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले
पढ़ल लिखल ना हियs, मन के भाव पढ़ेले
पुरुकिया मर- मिठाई, हाथ से अपना गढ़ेले
घरे जले आई ना, एकटके राह ताकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले
जिनगी के तरजुई प, अपना के खुब जोखेले
देखके हमार खुशी माई, केतना खुश होखेले
24 घण्टा काम करे, तबो ना थाकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले
जब रहीले भुखासे त, याद बड़ी तोर आयेले
टटका रोटी लइकन के, बासी अपने खायेले
जवने मिलल तवने, सूखा सूखी मुँहे फाँकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले
© मिथिलेश मैकश
छपरा
कापरा पिराये ला त, तेल धके दाबेले।
माई हमार हमरा के सबसे ज्यादा जानले।
बाबूजी विधाता हवन माईये परान ह।
माई बिना नाहक सारा दुनिया जहान ह।
बाबूजी के बात तनी, नीम नियन तीत ह।
माई के हर बतीया मिठाई नियन मीठ ह।
घाम जब लागेला त आम पीस के छापेले।
दुःख जब होखेला त देवता पितर भाखेले।
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