Saturday, 28 April 2018

होने लगा है मजहबी अब तो दोस्ती का रंग भी

होने लगा है मजहबी अब तो दोस्ती का रंग भी
मजहब ने बदल दिया उनके सोचने का ढंग भी

दिल खोलकर बोलने से कब रोकता है सच्चा प्यार
जरूरी बहुत है किसी रिश्ते मे प्यार और उमंग भी

आ समझे एक दूजे को मिलकर दोनो एक हो जाए
मै रंग जाउ तेरे रंग और तू कभी रंग जा मेरे रंग भी

बँध कर दोनो एक दूजे से छू लेते है आसमान भी
मजहबी तलवारें  काँटती है डोर के संग पतंग भी

                                        मनोज कुमार

Sunday, 22 April 2018

रोमांटिक कविता

https://youtu.be/IP2e6E5G78A

एक अच्छी रोमांटिक कविता का मजा लिजिए

थोड़ा और प्यार कर लेने दो

- - : थोड़ा और प्यार कर लेने दो : - -
  
कब आऊँगा कुछ पता नहीं  ये पल यादगार कर लेने दो  कि अभी दिल भरा नहीं है  थोड़ा और प्यार कर लेने दो

कि अभी दिल भरा नहीं है  थोड़ा और प्यार कर लेने दो

देखती रहो मुझे ऐसे ही  ये आँखें व्याकुल और प्यासी है
कि पास मेरे आ जाओ जरा सा  कि ये दूरी बस जरा सी है 

सुधबुध खोकर अब मै  तेरा हो जाना चाहता हूँ 
हाँ प्रिये तेरी बाहों में  आके सो जाना चाहता हूँ 
दबी दबी जो दिल में है  वह व्यक्त उदगार कर लेने दो  कि अभी दिल भरा नहीं है  थोड़ा और प्यार कर लेने दो

सुनता हूँ जब तेरी आहट  दिल खुशी से खिल जाता है  जैसे कोइ छोटे बच्चे को  कोइ खोई चीज़ मिल जाता है  धड़क रही हो धड़कन में  दिल से दिल का नाता है  ये इश्क है या कुछ और  जो खींच मुझे यहाँ लाता है

पतझड़ सा जीवन तेरे बिन  मिलकर बहार कर लेने दो  कि अभी दिल भरा नहीं है  थोड़ा और प्यार कर लेने दो

                                मिथिलेश मैकश      #छपरा     

                                    14 फ़रवरी 14

शादी थिसिस

शादी थिसिस
■■■पार्ट 1■■■ (हंसी-ठिठोली)

बियाह जो है न, खाली दोसरे के अच्छा लगता है । दोसरे के काँधा प बंदूख रख के गोली चलाने में मज़ा बहुत है । काले खरवास खतम हुआ, आ आजे अगुआ मंगरुवा  के दुवार प चहुँप गये साइकिल से । एने अगुआ लोग  इन्टरभिव के लिए लईका का इंतज़ार कर रहे हैं आउर उधर साइड में ले जाके लोग मंगरुवा  को याद पड़ा रहे हैं कि पापा, मामा, नाना के नाम के पहिले *श्री* लगाना । लबर लबर जादा दांत मत चियारना। सीधे जाके गोड़ छू के प्रणाम कर लेना आ पईसा कोई दे तो लेना मत ना तो बंधा जाएगा ।
सरभिस वाला लईका का बड़ी भेलू है महाराज , रोजे दस गो अगुआ दुवार कोड़े रहता है । जेतना लईका को आदमी नहीं देखता है ओसे जादा तो लईकी को देखने आता है । बेचारी एगो लईकी को देखने के लिए पूरा घर परिवार, हितई नाता, गांव पाटीदार सब चहुँप जाता है कउंवा नियन मुंह लेके । लईका कैसनको हो बाकी लइकी चाहिए श्री देवी माधुरी दीक्षित हीरोइन.....  जइसे मोबाइल का फीचर चेक होता है न ओसाहि आजकल लोग लईकी चेक कर रहें है । केतना पढ़ी हो ?, का कर रही हो ?, कम्प्यूटर जानती हो ?, BA मेँ कवन डिविजन है?  बैल नीयन चलाकर, दउड़ाकर कबो सूट पर त कबो साड़ी पर चेक किया जा रहा है लईकी को। बुझाता है कि लोग लईकी देखने नहीं रोजगार समाचार देखने जा रहा है |        जहिया तिलक के दिन होता है न त लईका  मार भोरही से बिलचिंग प ब्लीचिंग आ फेसवाश प फेसवास पाउडर किरिम पोत पोत के उजर हो जाता है । सेंट मार मार के बोका नीयन महकने लगता है जी । साँझ तक दूल्हा फुलहा लोटा नीयन चकमने लगता है । सबसे बेसी माजा तो उस समय आता है जब टाई बांधने के लिए आदमी खोजाने लगता है । लईका आधा घण्टा से टाई को रसड़ी नीयन गर्दन में लपेट रहा है। ( ए जीजा जी तनिका टाई बांध दीजिये न )
तिलक चढ़के जइसही खतम होता है न भउजाई लोग  चढ़ जाती हैं आंगन में।  जेतना पुरान भउजाई  होती है ओतने बरियार चूंटी काटती है लोग । दूल्हा के परछावन के बेरी गाल प लोढ़ा लोढा मार के गाल पचका देती हैं लोग । गालवा घिंच घिंच के रबर नीयन लमरा दिया जाता है।
दुवारी लगाने के टाइम प छव फुटवा घोड़ा के  घुड़दौड़ के साथ गांव में गर्दा गर्दा हो जाता था । धुरा उड़ा के धुरकुस कर देता था लोग। गांव में हाल्ला हो जाता था कि फलांनावा गांव से बरका बारात आया है जवना में 120 चोंप का समियाना है आउर बाई जी का नाच है। सबसे बेसी मजा तो हमको लअंडा के नाच में आता था। जब लअंडा टेढ़वार कमर मारता था न त मन करता था कि तुरंते सय के कड़कड़ीया नोट चोरउ पॉकिट से निकाल के लऊंडा के हाथ में थमा दे... बाकी का करे??  सामियाना में बाबूजी के डरे ओहिजे खड़े के खड़े रह जाते थे ||
ई आज ले डाउटे रहता है दूल्हा के  कि जयमाला के बेरी कवन पहिले माला डालता है  साली जी का मुंह त लियाकर आ ललचाकर  रसगुल्ला खियाने हटाने का बाते अलग है। रसगुल्ला के भक में केतना आदमी निमकी आउर आटा का रसगुल्ला खाया है? साँच साँच बताइये??
गुरहथि चढ़ाने के बेरी जब भसुर लोग आँगना में जाता हैं तो औरत सब एक से एक फिल्मी धुन प गारी गाती थी । काहे समधी भडुआ भागी गयो बईठो – बईठो ताहरा चुकर में बाँहब कबूतर हो बईठो- बईठो....। उ  का है न कि कहते हैं कि गारी से रिश्तेदारी बरियार होता है । जले आँगना में बईठा के आठ किसिम का  गारी लोग नहीं सुनते थे तले चार किसिम का खाना नहीं पचता था.....
अंदर आना मना है सौ रुपया जुर्माना है दुसुती पर्दा प लिखा हुआ शायरी केतना लो डायरी में लिखे हैं, आलू के भूजिया भूजते में जर गए , ए पिंकिया के पापा हम त तोरा यादे में मर गए । आदमी जब तकिया के खोल प शायरी पढ़ता था न तो पिंकिया के याद आने लगता था।
जेतना दूल्हा को मजा नहीं आता होगा  ओसे बेसी मजा तो छोट लईकावा लोग  लेता है  बियाह में । आलू छिलना, पियाज छिलना, पत्तल बांटना ,तरकारी चलाना में बड़ी मन लगता था सांचों.. ए जल जल जल है , अलूदम , अलूदम ,मिक्सचर ....( कैमरा को पास बुलाते हुवे ) !! छोट छोट लईका सन को तुड के पूड़ी देना औउर  तरकारी हिसाब से, पोलाव लास्ट में आ सलाद कमें कमें । आ सुनो रसगुल्ला खाली बरतिहा  के  गांव लो के बाद में देखा जायेगा …..

शादी थिसिस
  ■■■पार्ट 2 ■■■ ( रुवांश और भावुक )

आज जमाना स्मार्ट आउर स्मार्टफोन का है । पहिले जइसा अब कोहबर थोडिये सजता है,  मेहरिया गाया है सभकूछ महाराज ।   भउजाई लोग शहर से आई हैं, अंग्रेजी स्कूल  से पढ़के। केहुको एको लाइन गीत ईयाद नहीं है । गीत गाने में लाज लग रहा है। पाहिले गीत गाने के लिए माइक का  छीना छीनी होता था। अब उ बात नहीँ है । अब माड़ो में मेहरारु कम आ मोबाइल जादा दिखाई दे रहा है। गीत गावे से जादा सेल्फ़ी घिचे में व्यस्त है सभे, दुल्हिन के सहेली पल पल के खबर फेसबुक, व्हात्सप्प अपडेट रखती हैं ....   #Mee_at_Kohbar_with_लुलिया_के_मरद...।    Hiii..friends..Luliya ke marad is too smart..
   ट्रेक्टर के डाला पर गाय भैस नीयन लदा लदा के बारात जाने का याद आज भी हमार करेजा हेलोर देता है । हीरो के बिना चैन कभर वाली टुटही साइकिल, स्कार्पियो से कम नहीं था। आदमी जब  जब बाराती का address भूला जाता था  तो मरकरी के लाइट पर सामियाना तक पहुंच जाते थे। ठोंगा-भोज के बाद सर्च करते थे कि अपना बारात या किसी दुसरे का .....  बारात 4 बजे से जायेगा बाकी एके बजे से मार नया नया कपड़ा पेन्ह खोल के दुये घण्टे में पुरान कर देते थे।
पहिले जब बारात निकलता था तो पूरा गांव के गांव बारात जाता था। लईका फइका बूढ़ जवान सभे बाराती जाता था अऊर जब तक बिदाई नहीं नहीं हो जाता था लोग बरियाते में रहते थे। अब पहिले जइसे लोगे नहीं जुटता है बारात में। बारात जाना खाली फॉर्मेलोटी हो गया है। लोग त खाली खा-पी कर के घर निकल जा रहे है  बच जाते है बस लईका के पापा ,लईका के चाचा , लईका के मामा, लईका के फूफा । इहे चार पांच लोग रात भर बैठ के समियाना अगोड़ते हैं। पंडियो जी लो केहू से कम नहीं है। एके दिन दुदु गो बियाह तिलक का साटा बुक कर रहे हैं । एक ओर  दुवार पूजा करा के दोसरा और तिलक चढ़वा रहे हैं लो। मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरुड़ध्वज मंगलम पूंडरीकाछ आधा बोल के बिचे में खतम कर तनो हरि कर दे रहे हैं लो। कहीं कहीं त फोने पे बिआह करा देते हैं    सबकुछ हडबड़ी में हो रहा है,लईका  बाहर में नॉकरी कर रहा है तो सीधे तिलक के दु दिन पहिले पहुंचता है और बियाह क के मेहरारु लेके सीधे बम्बई।       आजकल के कनिया लो के का मालूम के सास को तेलो लगाया जाता है, गोड़ मीसा जाता है। पहिले एक महीना ले कनिया को देखने के लिये आँगना में लाइन लगा रहता था। अब उ दिन थोडिये है । कनिया कोई लजातीये नहीं है। बियाह के पहिलही से ऑनलाइन बात करी है , व्हाट्सअप से वीडियो कॉलिंग कर रही है। साँच कहे तो बस बियाह का दिन तारीख ही नया रहता है दूल्हा दुलहिन तो पहिलही पुरान हो जाता है ।    आजकल बियाह केतना महंगा हो गया है। पहिले एकबार जो तिलक के दिन कपड़ा चढ़ता था तो उहे बारात ले चलता था। अब तो तिलक के अलगे, जयमाला के अलगे आ बिदाई के अलगे। पहिले फुआ लो एगो छुछिये से कमे में मान जाती थी लो ,अब तो सोना के सिकड़ी से कम बाते नहीं हो रहा है माटी कोड़ाई में। पाहुन मोटरसाइकिल खाती रुसे हैं आउर मामी नथुनी खाती।     आजकल बियाह लईका लईकी से नहीं पईसा से हो रहा है  बेटहा लो के अकड़ में बेटीहा केतना चक्कर लगाता है उ त मोटरसाइकिल के किलो मीटर से पता चलता है। लईकी वाला खूब दऊरता है आउर लईका वाला खूब दउराता है जब दुनु थाक जाता है तब जाके आज बियाह हो रहा है। लईकी लो के बियाह के फोटो बिटोर बिटोर के लोग एलबम बना रहे हैं। दस गो फोटों लेके दसों में से छांट रहे है कि कवन सबसे बढ़िया है? लोग आजकल लइकी देखने नहीं 2 घण्टा का फिलिम देखने जा रहे हैं सेलेक्ट नहीं रिजेक्ट करने जा रहें हैं लो। पईसा ओईसा त बाद में है पहिले लईकीये बुझने में उझरा जा रहे हैं लो।       आज आप बेटा वाले हैं कल आपहु एगो बेटी के बाप होंगे आपके घर में भी लईकी जन्म लेगी  फिर आप भी अइसही परेशान होखीयेगा  जेतना आज घुमा रहे हैं न ओतने आप घुमियेगा रिश्ता को जोड़िए तोड़िये नहीं। जेतने रिश्ता को पईसा से दूर रखेंगे न रिश्ता ओतने भरपूर होखेगा। शादी बियाह टेंशन नहीं सेलिब्रेशन का चीझ होता है।

जय बिहार

आज हम कवनों बिहार का इतिहास नहीं बताने वाले हैं ना ही ई की विश्व का गौरव अउर दुनिया का पहिला लोकतंत्र बिहारे से शुरू हुआ था आउर आज हम अइसन कुछो नहीं बतानेवाले हैं जवन किताब में लिखा हुआ है जईसे की विश्व का सबसे बड़का पशु मेला हमारे बिहार (सोनपुर) में लगता है , चाहे ई की देस का पहिला राष्ट्रपति, देश का राष्ट्रकवि, सब बिहारे से है। उ का है न, हम लोग नाम नहीं ,काम गिनाते है। इतिहास उठा के देख लीजिए ,बिहार ना कबो कम था आउर ना कबो कम रहेगा।सत्याग्रह से लेकर सम्पूर्ण क्रांति...पूरा देस का राजनीत बिहारे से तय होता है।

हम बिहार के लइकवन में एगो बहुते बढ़िया चीझ होता है जो कहीं आउर देखने को नहीं मिलता है उ है माई बाबू का संस्कार..गांव का प्यार..आउर आपन बिहार ।
बिहार में आजो गांव के छोट छोट लईका लोग स्कूल में सिरमिट के बोरिया बिछाकर देश का भविष्य लिखता है। भोरे भोरे उठकर बहाली में दउरने से पहिले धरती माँई को भगवान नीयन गोड़ लागता है आउर घर से निकलने से पहिले माई के दिया हुआ ठेकुआ, लीट्टी को रास्ता भर बड़ी प्रेम से बांध के रखता है। बिहार के लईका सब लट्टू खेलता है, गुल्लीयो डंडा खेलता है बाकी केहू के दिल से नहीं खेलता है।

बिहार खाली आईऐसे नहीं, उ किसान मजदूर लोगों का भी स्टेट है जहाँ बड़ से लेकर छोट काम को भी लोग मान सम्मान के साथ करते हैं। इहे बिहार है जहां लोग बड़का बड़का देस से पढ़ने के लिए नालन्दा विश्विद्यालय में आता था। चाणक्य, आर्यभट्ट का लोग गाथा गाता था।  इहे बिहार है जहां के माटी से जैन धर्म बौद्ध धर्म का जन्म हुआ था। आरे इहे बिहार है जहाँ लोग का वाणी ,गंगाजी के पानी जइसा है। आरे इहे बिहार है जहां डूबते सूरज भगवान को भी अर्घ दिया जाता है।

जानते है हम लोग काहे अपने को 'मैं' नही 'हम' बोलते है? काहेकी
हम लोगों को शुरूये से ही सभकेहु को साथ लेकर चलने की आदत हैँ, लिट्टी चोखा हमलोगों फेवरेट खाना है वइसहीं जैसे साउथ वालो का इडली सांभर है। जे तरह से पंजाब के लोग पंजाबी कहलाना पसंद करता है गुजरात का गुजराती ओइसही हम बिहार से आउर हमरा बिहारी कहलाना पसंद है।
Bihar का शिकायत जब कौउनो  दोसर स्टेट करता है ओतना दुःख नहीं होता है जेतना की अपन लोग अपने शिकायत करता है .....लोग आपन पहचान लुकाने लगता है, शरमाता है। हम कबहुओं  एगो सरदार को दोसरे सरदार से हिंदी में बतियाते नहीं देखा है? अच्छा बताइए आप  कबो एगो मलयाली को दोसरे मलयाली से अंग्रेजी में बतियाते देखा है? नहीं देखें होंगें। बाकी एगो बिहारी को दोसरे बिहारी से अंग्रेजी छाटते हुए जरुरे देखा होगा ।

उ का है न, कुछ So Called Modern  लोगन को शो बाजी का तनी जादही निसा है। भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका बोलने में लाज लगता है। शुरूवातीये से जब घर में कवनो छोट लईका फूल नीयन खिलना इस्टार्ट करता है तो उसको मातृभाषा में नहीं ,अंग्रेजी में सान कर सेयान करते हैं लोग। सीखने सिखाने में लईका अंग्रेजी तामझाम झोल तो जान जाता है बाकी आपन बिहार का भूगोल नहीं जान पाता है।

ई लुंगी डांस पर बिहारी को कमर हिलाके लुंगी उड़ाते हुए बहुते देखा है बाकी जब भिखारी ठाकुर,शारदा सिन्हा,महेंद्र मिसिर का बात आता है तो लोगन को झाईं मार देता है। बौद्ध भिक्षु लोगों के वयव्हार से bihar बना था , दातं चिहारने से नहीं बना था ||

बिहार के नवका लोग अपने को बिहारी नहीं NRB कहलाना पसंद करता है। NRB का मतलब जानते हैं ? Non ......Bihari अइसन बिहारी जेकर जनम करम बिहार में तो हुआ है बाकी अब उ बिहार का नहीं। आ बिहार में बहार है...... कहाँ बहार है ? गांव देहात के लोग छपरा जाते है, छपरा के लोग पटना, आउर पटना के लोग  😢पटना से बाहर। एकबार जो कोई ई वायुमण्डल से निकल जा रहा है उ वापिस फेर ई ग्रह पर भुलाइओ को नहीं आ रहा है।

देखा जाए तो मैगी ,पिज्जा, बर्गर के शो बाजी में कब लीट्टी चोखा मेहरिया गया पते नहीं चला। जलजीरा , चना के सतुई कोल्ड्रिंक में घोरा के कब ओरा गया पते नहीं चला। खटिया का फोटो अब बगईचा में नहीं इंटरनेट पर मिलता है।

सबसे खिस तब बड़ता है जब बिहार में कवनो नेता आता है भोजपुरी-भोजपुरी  खेलता है। लॉलीपॉप देखा के सारा वोट चूस लेता है। बाकी बात जब भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में लियाये के लिए होता है तो सभकेहु का कान खड़ा हो जाता है। भोजपुरी से संसद के दूरी अभियो मंगल ग्रह से दूर दिखाई देता है

बिहारी होना खराब बात नहीं है  👌  👌बिहार का होकर , बिहार का ना होना होना खराब बात है। " बिहारी" शब्द से दिक्कत नहीं है , बस "गारी" से दिक्कत है। पता है बिहारी से लोग काहे जरते है? काहे कि कवनो काम को हमलोग छोटा नहीं समझते है। कुछ लोग हम पे हँसतें हैं काहे भाई ? काहे की हमारा टोन जो है न उ गवार जैइसा  होता है ....एक बात जन लीजिये जेतना हमरा अपना  टोन से प्यार है न ओतने हमार इंग्लिश फरटेदार है, काहेकी जब हम IAS के इंटरव्यू देने गए थे न तो हमको कोई गँवार नहीं बोला। हमलोग सीखते हैं👍 गलती होता है👍 बाकी हमलोग के ओर का लोग मेहनती होता है। हमलोग दिल के फेयर आदमी है , हर कुछ अपन समझ के शेयर करते हैं। काहे की हमलोग रेयर आदमी है केहू से कम्पयेर नहीं करते|
कवनों भी देस दुनिया को लोग ओकर इतिहासे से याद राखता है आउर कवनो भी चिज को आज जदि बढ़िया से ना रखा जाए तो कब उ इतिहास बन जायेगा कोई नहीं जानता है।अपने इतिहास, संस्कृति पर गर्व कीजिये। गर्व कीजिये कि आप उस जगह से हैं जहां का माटी, वीर कुँवर सिंह जइसन खाँटी मरद पैदा करता है। आप बिहार से हैं और गर्व से बोलिये कि हम बिहारी है। सभे लोगन को बिहार दिवस के बहुत बहुत बधाई। आपन बात आपन जज्बात को मरने मत दीजिये, शेयर कीजिये। जय हिंद जय बिहार

22 March - बिहार दिवस

*22 March - बिहार दिवस*

*अगर आपको बिहारी होने पर गर्व है तो Share करना ना भूलें*

बिहारी होना खराब बात नहीं है, बिहार का होकर बिहार का ना होना खराब बात है,

*बिहार का शिकायत जब कउनो दोसर स्टेट का करता है तो ओतन दुख नहीं लगता है जेतना आपन लोग अपने शिकयत करता है*

देखिये इस video को और एक बात जान लीजिए
*BIHARI AN IDENTITY   NOT AN INSULT* ❤

अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें इंतज़ार है हमें ।।
https://youtu.be/4JdW3VeRmtw

बड़ी बेरोजगारी बा

पचास रोपे आटा चाउर
साठ रोपे तरकारी बा
तवातिया दहेजुआ बाइक
बिना तेल के गाड़ी बा
घर चलsता कर्जे कर्जे
देह प खाली उधारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

मंगल ग्रह से भी दूर
नौकरी हई सरकारी बा
आदिमी के साला भेलू ना
पईसा के मारा मारी बा
मुअल भइल सास्ता मर्दे
जियल बड़ी भारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

सय के उपर  गमछी बा
हजार के एगो साड़ी बा
जहिया से दारू बन भइल
ई महंगा भइल ताड़ी बा
जनता खेला खेल ता
सरकार बड़ी खेलाड़ी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

छूछे केहू पूछे ना
हट साला भिखारी बा!
पढ़ पढ़ के पागल भइनी
बेरोजगारी बड़ बेमारी बा
सोच सोच के ठनकता
माथा हमार भारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

का करी हम का ना करी?
समे के बलिहारी बा
होता रोजे पर्चा लीक
केकर ई जिमेदारी बा ?
कइसे होइ रिजल्ट भाई
बेकार के सभ तैयारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

कलम कॉपी छूटल साथी
हाथ में अब कुदारी बा
मन करता आग लगाली
जरत रोज लुकारी बा
उपासे हमार आंगन बा
उपासे घर के हाड़ी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

जनता जइसे बानर भालू
नेता बनल मदारी बा
जइसन बारे नेता
ओइसन देस के अधिकारी बा
चुप्पे आदमी बोलत नइखे
सहते नु  बरियारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

किसान के छाती फाटता
कमजोरन के लाचारी बा
नेता मरदे बोली बेचे
देस के बयपारी बा
बइठ जा मैकश चुप होजा
इहे में समझदारी बा
बड़ी बेरोजगारी बा हो
बड़ी बेरोजगारी बा।

    - मिथिलेश मैकश
                      छपरा

*बेराजगारी के आलम को…*

*कवि ने शब्दों मे उकेरने का अच्छा प्रयास किया है*

*क्या आलम है जरा पूछो तो उस बेरोजगार से*
*टकटकी लगाए पूछता है हर एक सरकार से*

*कविता सुनने के लिए नीचे के लिंक पर जाए*

https://youtu.be/zBNBKjB7WEU

कविता के कुछ अंश… इस प्रकार है

जनता जइसे बानर भालू
नेता बनल मदारी बा
जइसन बारे नेता
ओइसन देस के अधिकारी बा
चुप्पे आदमी बोलत नइखे
सहते नु  बरियारी बा
*बड़ी बेरोजगारी बा हो*
*बड़ी बेरोजगारी बा।*

*कविता अच्छी लगे तो*

*इस टीम द्वारा की गई मेहनत को…..हौसला अफजाई के लिए*

*Please एक शेयर कर दें*

Friday, 20 April 2018

आजीवन गठबंधन दिवस

मेरे अजीज मित्रों में से एक

(सुबोध और प्रिया) द्विवेदी का आज
"आजीवन गठबंधन दिवस" है

शब्दों का संयोग तो देखिए

प्रिया + सुबोध = सुबोध / प्रियबोध

सु = अच्छा
प्रिय = अच्छा , प्यारा

प्रिय = सु

(प्रिया = सु )बोध = सुबोध / प्रियबोध

अपने अजीज मित्र प्रियबोध के लिए
इस विशेष दिवस पर
अपने जज्बातों को अल्फ़ाजों मे उकेरने की एक कोशिश

हँसता मुस्कुराता ऐ मेरे यार तेरा यह प्यार रहे
आजीवन गठबंधन और यह दिवस गुलजार रहे

गुल खिले गुलदस्तो सा खुश्बू का साया रहे
जीवन के गुलशन मे तेरे हरदम ये बहार रहे

मेरा तेरा बोध तू मेरी प्रिया अब दोनो "प्रियबोध" हुए
छूटे ना अब साथ ये अपना जब तक ये संसार रहे

मै कैसे कहूं  कि  कितना , खिल उठेगा मेरा मन
श्रद्धा के दो शब्द मेरे अगर आपको स्वीकार रहे

                   
                                              मनोज कुमार

Thursday, 19 April 2018

शहर के जिनगी , जियल बड़ी पेचीदा बा

शहर के जिनगी , जियल बड़ी पेचीदा बा
गाँव आके देखs  , लोग केतना सीधा बा

गाँव मे नाम पूछ,लोग घर तक पहुचा दी
शहर मे  त , हर  चीज पुछे मे दुबिधा बा

शहर के लोग बस ,इंटरनेट पे देख सकेले
गाँव मे हमरा , साचो के  बाग- बगीचा बा

बरगर पिजा से बढ़िया , लिट्टी -चोखा बा
घईला के पानी,शरबत से जादा मीठा बा

गाँव मे काम ,मिल के ओरीयावल जाला
शहर मे मरदे बस ,भरमावे के तरीका बा

शहर जइसन नइखे ,बाकी आके देखल
दु टाइम ठीक से,खाये जियेकेे सुबिधा बा

केहु दिल्ली,बम्बे त केहु अरब बा मैकश
आज हर शहर मे ,आपन गाँव जिंदा बा

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

#ललका_गुलाब
#रिलीज_होता
#28_अप्रिल_2017_के
#यूट्यूब_आखर_प (सब्सक्राइब करी)
www.youtube.com/c/aakharbhojpuri

कापरा पिराये ला त, तेल धके दाबेले। माई हमार हमरा के सबसे ज्यादा जानले। बाबूजी विधाता हवन माईये परान ह। माई बिना नाहक सारा दुनिया जहान ह। बाबूजी के बात तनी, नीम नियन तीत ह। माई के हर बतीया मिठाई नियन मीठ ह। घाम जब लागेला त आम पीस के छापेले। दुःख जब होखेला त देवता पितर भाखेले।

जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले

बेरी बेरी आँचर से, हावा खुबे हाँकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले

पढ़ल लिखल ना हियs, मन के भाव पढ़ेले
पुरुकिया मर- मिठाई, हाथ से अपना गढ़ेले
घरे जले आई ना, एकटके राह ताकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले

जिनगी के तरजुई प, अपना के खुब जोखेले
देखके हमार खुशी माई, केतना खुश होखेले
24 घण्टा काम करे, तबो ना थाकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले

जब रहीले भुखासे त, याद बड़ी तोर आयेले
टटका रोटी लइकन के, बासी अपने खायेले
जवने मिलल तवने, सूखा सूखी मुँहे फाँकेले
जब हम सुतिले, त माई हमार जागेले

© मिथिलेश मैकश
    छपरा

कापरा पिराये ला त, तेल धके दाबेले।
माई हमार हमरा के सबसे ज्यादा जानले।

बाबूजी विधाता हवन माईये परान ह।
माई बिना नाहक सारा दुनिया जहान ह।

बाबूजी के बात तनी, नीम नियन तीत ह।
माई के हर बतीया मिठाई नियन मीठ ह। 

घाम जब लागेला त आम पीस के छापेले।
दुःख जब होखेला त देवता पितर भाखेले।

Monday, 16 April 2018

*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*

*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*
--/////---////---/////----////---///--

*थोड़ा सख्त थोड़ा कड़ा होता है बाकी दोस्त लो दिल का बहुत बड़ा होता है*। जय बीरू,धर्म-वीर, करन अर्जुन आरे एक से एक कैरेक्टर अभियो दिमाग में है जवना को आदमी कबो भुलाईये नहीं सकता। एगो साँचा दोस्त का रहना जिनगी में बड़ी जरूरी है हो। *उ दोस्ते का जवना को लोग मिस ना करे जवना को लोग याद ना करे*। कहा जाता है कि दोस्त दु तरह का होना चाहिए एगो सुदामा नीयन आउर एगो कर्ण नीयन। बाकी आज का टाइम देख के लगता है कि *एगो दोस्त अईसनको होना चाहीये जवन मिथुना नीयन हो*। जवना से कि कहीं झगड़ा झुगड़ी होखे तो मारपीट में सबसे आगे हो। *एगो संघाती रहने से छाती केतना चउरा रहता है ई बात उहे समझेगा जे कभी अकेला में घेराया होगा*।

एगो दोस्त, दोस्त तबे ले रहता है जबले दोस्त आउर दोस्ती के बीच में ओकर गर्लफ्रेंड ना आ जाये। नईकी गर्लफ्रेंड मिली पूरनका दोस्त दोस्ती सब खतम। *फ्रेंड फ्रेंड करते करते कब बॉय फ्रेंड गर्लफ्रेंड हो जाता है, अब पते नहीं चलता है*😊😊

   एगो साइकिल पर 4 आदमी,एगो आगे, एगो सीट पर, एगो पीछे आउर एगो ओकरो से पीछे, जवन पीछे से ठेलते रहता है सब का है? दोस्तिये नु है हो। एगो जीन्स पैंट को जे तरह से चार आदमी पहनता है आउर एकही जूता चार आदमी नापता है उ सब आउर कहाँ मिलेगा हो?☺️☺️
दोसरा के पर्स में से पईसा निकलवाना, खर्चा करवाना सब दोस्तिये नु है हो☺️☺️ *जान मांग लो तबो कोई नहीं रोता है ?👍जहाँ हंसी मजाक होता है ,दोस्ती उहें होता है*👌
  जब मैट्रिक का रिजल्ट आया था तो मैथ में क्रॉस लग गया था और जब हम फेल हो गए थे तो घर में आवते सबसे पहिले पापा डांटना स्टार्ट किये कि भाग जाओ घर से खाली पईसा बर्बाद करना है😢😢 पता नहीं का करता है दिनभर????😢😢 मम्मी चुप चाप सब बात सुनके भी अंजान जइसे समझाई कि कइसे पढ़ाई करता है ? कि नंबर कम आ गया तुम्हारा? कवनों बात ना अगिला बेर बढ़िया नंबर लाना। घर में मम्मी भले कुछुओ बोले पापा कुछुओ बोले बाकी एगो दोस्त आके इहे बोलता है बे छोड़ ना पढ़ के केहू मोटा हुआ है का बे 😊😊 *मैथ का हिंदी का अंग्रेजी का सबका बदला लेगा रे तेरा दोस्त*👍👍चल पहिले कुछ खा पीके आते हैं फिर बतियाते हैं। तो ई होता है दोस्त जवन माहौल को बना दे। *दिल होता है,  जान होता है,दोस्त लोग सचों भगवान होता है*👌👌
        स्कूल कवलेज का इग्जाम का खतम हुआ लगता है कि जिनगीये खतम हो गया है। सभकेहु एने ओने कैरियर के फेरा में केरा जइसे पेरा रहा है। जिनगी में जदि कवनो यादगार चिझ था न त उ दोस्त लो था आउर उ दोस्त लो के दिलदार दोस्ती।गोल्डेन पीरियड था हमारा।
गदहा बकरी प चढ़ने से लेके बगइचा से अमरूध टिकोरा तुड़ने तक सारा प्लानिंग दोस्ते लोग का होता था। अब देखिए न आज पूरा  मोहल्ला पूरा गली शान्त है। कवनो हैइये नहीं जवना से हम मिलकर बात करें। *कितने फ्रेंड हैं कितने अनफ्रेंड हैं अब इ सब गांव में नहीं, फेसबुक से पता चल रहा है*। फ्रेंडलिस्ट में तो 5 हजार से जादा लोग है बाकी 5 गो पहिले जइसा दोस्त मिल जाये तो जिनगी सवारथ👍
      एगो प्लेट में एकही चम्मच से चार दोस्त लो एके साथ खाना आजो हमको याद आता है। 5 रोपया के फेरा लभली के पाउच को 4 टाईम घोसना, करुआ तेल के जगह पानी से केश झाड़ना बड़ी याद आता है हो। कोचिंग जाने से पहिले भोरे भोरे बेल्ट नहीं मिलने पर दोसरा का बेल्ट पहिन कर दिन भर गायब हो जाना हमको आजो याद आता है। एके गर्लफ्रेंड से चारों आदमी का पारा पारी बात करना आजो याद आता है हो।
*दोस्त बनाया नहीं जाता, दोस्ती निभाया जाता है*। *दोस्ती के लिए कीमत नहीं ,हिम्मत की जरूरत होती है*।

*छोटी छोटी बातों पे रूठ जाना याद आता है*
*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*।

*हँसना - हँसाना जिंदगी का ईक हिस्सा था*
*हर ईक दोस्त का अपना अपना किस्सा था*
*अरे उन किस्सों का आज टूट जाना याद आता है*
*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*|

*थोड़ी चुलबुली सी , थोड़ी सी ठरकी थी*
*हम सब की चाहत,क्लास की ईक लड़की थी*
*उस लड़की पे सबका दिल लूट जाना याद आता है*
*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*

*कोई आइसक्रीम, कोई दिल का खड़ूस भी था*
*कोई डेनिम जॉकी , कोई बड़ा कंजूस भी था*
*किसी का लुटना, किसी का लूट जाना याद आता है*
*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*।

*कोई छूट गया है, कोई साथ भी है*
*कोई भूल गया है, कोई याद भी है*
*चलते चलते अचानक कहीं रूक जाना याद आता है*
*मुझे दोस्तों का छूट जाना याद आता है*

© मिथिलेश मैकश
       छपरा
      15 अप्रैल 18