सर्दी मे लोगन के असकतीआइल देखऽ
दस दस दिन पर एकबेर नहाइल देखऽ
भउक जईसन चेहरा भकुआइल देखऽ
सुखल मुह आ चेहरा करीआइल देखऽ
दिनभर चुनचुनी देह के हबुआईल देखऽ
अंगूरी से कान से खूब खोदिआइल देखऽ
रजाई मे लुका लुका के गुटिआइल देखऽ
फाटल ओठ दुनो एड़ी चरचराइल देखऽ
छोटका लरीकवा के हई बउराइल देखऽ
ठंडा पानी देख माई माई चिलाइल देखऽ
बूढ़ पुरनिया के पानी मे अगराईल देख ऽ
हई गंगा जी मे कूद कूद नहाइल देख ऽ
गंगा जी मेहरारू लोगन के जाइल देखऽ
गंग नहान मे रोज किनारे आइल देखऽ
एह ठंडी मे आस्था के अगराइल देखऽ
होने देहचोरन के पानी से घबराईल देखऽ
खाली घर मे बइठ बइठ के खाइल देखऽ
हर काम मे दु दु घंटा पिछुआइल देख ऽ
पररू बैल नियन बइठ के बउराइल देखऽ
भीझल तोशक बोझा जस बन्हाइल देखऽ
आलू ,कोबी , टमाटर के बेचाइल देखऽ
आग के लिट्टी प घिव के घोसाइल देखऽ
इनर,सुटर आ गरम चीज बेचाइल देखऽ
हई सर्दी के मौसम के चहचहाइल देख ऽ
#मिथिलेश_मैकश
#लिखी_भोजपुरी_पढ़ी_भोजपुरी
#रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी
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