चन्दन और अभिमन्यु
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दोनों ही वीरगति को प्राप्त हुए
दोनों अंतिम दम तक लड़ते रहे
दोनों को मारने वाले अपने ही थे
दोनों को देखने वाले अपने ही थे
दोनों कर्म पथ पर बढ़ते रहे
दोनों जीते रहे व मरते रहे
पर दोनों में थोड़ा सा अंतर है
एक महाभारत का पात्र था
एक भारत का पात्र था
एक के हाथ में पहिया था
एक के हाथ में तिरंगा था
दोनों ही धुन के पक्के थे
दोनों ही दिल के सच्चे थे
पर दोनों में थोड़ा सा अंतर है
एक फँसा चक्रव्यूह में था
एक फँसा उग्र भीड़ में था
एक देशभक्त स्वाभिमानी था
एक पांडव का अभिमानी था
दोनों अपनी जगह सही थे
दोनों का लक्ष्य एक ही थे
पर दोनों में थोड़ा सा अंतर है
दोनों का नाम था अलग अलग
दोनों का काम था अलग अलग
कहीं ख़ामोशी, कहीं उदासी है
दोनों ही न्याय के अभिलाषी है
दोनों इतिहास का हिस्सा है
दोनों का एक ही किस्सा है
पर दोनों में थोड़ा सा अंतर है
- मिथिलेश मैकश
छपरा
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