बाहरा में रहेला आदिमी
एक भोरे के निकलल
राती खा चहूपि स रूम प
भोरे आला रोटी के गरमा के
ओमे नून तेल लगाके
दवाई नियन दु टाईम
खा लेबीला जा खाना
डेढ़ इंची के कांटी प
टँगा जाला करीयाका कुर्ता
जवन धोआईल नइखे
एक हफ्ता से
ओभर टाइम के चलते
पईसा के चलते
लाचार थाकल मन से
भहरा जानी जा भुइंया
जईसे गाय भइंस
बन्हा जाली स खूँटा में
बाहरा के पानी
गला देलस जवानी
राहता भर इहे सोचीला
पता ना काहे हो
सूख जाला आदिमी
बाकी सूखे ना गमछी
पानी से भींजा भींजा के
लटिया जाता मूड़ी के बार
तवातीया इंतिजार में
अयनक शीशा ककही
करिया के मारे
चमकता तकिया के खोल
छ्ज्जी प से गिर के
पचक गइल बिया तसली
चार गो टेढ़बढ़ऊ ईंटा प
रखाइल बिया जिनगी
जिनगी भर जइसे
साथ छोड़ी ना ई छीपा
दस गो सिंक बच गइल बा
नरियर के झाड़ू में
दाँत चियार देले बा जइसे
कोलगेट के बुरुस
बाहरा में
बड़ी जल्दी हो जाले सुभे
हासिल के भाग नियन
कटे नाही रात
धीरे से हो जाला अन्हार
तेजी से जर जाले बम्बती
सैकड़ा से आगे ना भागे
कबो पईसा के गणित
किसमत के दहिने
खिसिआइल बा जीरो
कर्जा मांगी मांगी
सिखनी हासिल के घटाव
जिनगी में होई कहिया
हासिल के जोड़
एगो प्लास्टिक के बाल्टी
लोटा गिलास
पांच लीटर के गैस
पांच किलो चाउर
पांच किलो आटा
लेवा चटाई के साथ
घर बार छोड़ के
पाई पाई जोड़ के
बाहरा में रहेला आदिमी
- मिथिलेश मैकश
छपरा
No comments:
Post a Comment