Thursday, 8 February 2018

#लोर

#लोर

लोर में होला खून के रिश्ता
बिना सवारथ के जवन
आँखी से ढरक जाला
जब केहू अपने
आपना से दूर हो जाला
त पपनी के कोर से
केहू के ईयाद में
छलक जाला अइसे
जइसे छलक जाये
जान तरहथी से ।

लोर धो देबेला
आँख में जमल मइल
पिघुला देबे कठोर करेजा
हो जाये खड़ा रोवाँ
लोर के रंग एतना साफ ह
कि लउक जाला सभकुछ
बिना कइले सिकाइत
मान के आपन गलती
टुघुर टुघुर के
झड़ जाये आंख से मोती।

सभके दरद जानेला लोर
लोर के दरद केहु ना जाने
लोर के एक बुन से
उतरा जाये समुन्दर
लोर के टप के आवाज से
टूट जाले करेजा
लोर के बिटोरइला से
भर जाला आंख
आ लोर के रोकला से
हो जाला छाती भारी।

टघरत टघरत जब
सूख जाला आंख से लोर
त पड़ जाला एगो दागी
जवन छुवला प
लागेला अजबे
लउकेला एगो सच्चाई
लिआ देबे ला तूफान
जब रह जाला आँखी में लोर
मन हलुका हो जाला
जब बह जाला आँखी से लोर।

- मिथिलेश मैकश
  छपरा

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