जहाँ आन बान सम्मान की
जब जब बात आई थी
किसी ने कुर्बानी किसी ने
जौहर कि रस्म निभाई थी
इतिहास हमारा साक्षी है
कितनों का नाम बखान करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।
सावित्री ने सत्यवान खातिर
यमराज से प्राण खींच लाई थी
अंग्रेजों कि जो छक्के छुड़ाई
वो अकेले रानी लक्ष्मीबाई थी
पत्थर बनी अहिल्या को
राम ने चरण स्पर्श किया
अग्नि परीक्षा देकर जहाँ
सीता ने चरित्र आदर्श किया
सबरी के जूठे बेर में
निश्छ्ल प्रेम का आह्वान करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।
जहाँ वासुदेव के लाल को
यशोदा सी माँ मिल जाती है
धर्मों से परे समाज को
जहाँ जोधा राह दिखाती है
नल दमयन्ती के किस्से
जहाँ घर घर गाये जाते हैं
द्रौपदी कि लाज बचाने
जहाँ खुद कृष्ण चले आते हैं
भारत कि इस गरिमा को
नतमस्तक हो प्रणाम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।
जो पति को परमेश्वर कि
पवित्र संज्ञा बताती है
जिसके नाम से माँग में
चटक सिंदूर लगाती है
अकेले बाद में खाती है
पहले सबको खिलाती है
माँ, बहू, बहन न जाने
कितने रिश्तें निभाती है
कभी नहीं सोचती है कि
थोड़ा सा भी आराम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।
जग में फिर से जीने का
उम्मीद नई जगाती है
रिश्तों को सहेज कर
घर को घर बनाती है
मीठी मिश्रि सी बोली
सुंदरता परी समान है
सादगी सभ्य पहनावा
घूँघट जिसकी पहचान है
भारत कि इस गरिमा को
नतमस्तक हो प्रणाम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।
मिथिलेश मैकश
#छपरा
नारी न हो जग मे
नर का असतितव अधुरा है ।
लछमी न हो संग मे तो
नारायण भी नही पुरा है ।
भारत की हर माता का
हरदय से मै सममान करू ।
आज किस शबद के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करू ।
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