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लाख रुपिया पइसा,चाहे केतनो धन होखे
मिलऽ ओकरे से,जेकरा मिले के मन होखे
खाली मुंह से केहु बोला देबे,त ना जाये के
बेकार लागेला जब जा, त केवारी बन होखे
ई रोज - रोज के निमक माँगल,ठीक ना ह
अब घरे आपन चूल्हा,आपन बरतन होखे
शांति से नुन तेल खा ल,उ अच्छा ह भईया
पेट भर जाये , भलही तनि चटक कम होखे
मज़ाके मज़ाक मे एहिजा गोली चल जाला
ऊ आदमी से त दुरे रह,जेकरा अहम होखे
पीछे त भच -भच, सभे करेला आपना घरे
केहु बा?जेकरा सोझा कहे मे तनी दम होखे
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