Thursday, 28 September 2017

भारतीय नारी का जयगान करू

जहाँ आन बान सम्मान की
जब जब बात आई थी
किसी ने कुर्बानी किसी ने
जौहर कि रस्म निभाई थी
इतिहास हमारा साक्षी है
कितनों का नाम बखान करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।

सावित्री ने सत्यवान खातिर
यमराज से प्राण खींच लाई थी
अंग्रेजों कि जो छक्के छुड़ाई
वो अकेले रानी लक्ष्मीबाई थी
पत्थर बनी अहिल्या को
राम ने चरण स्पर्श किया
अग्नि परीक्षा देकर जहाँ
सीता ने चरित्र आदर्श किया
सबरी के जूठे बेर में
निश्छ्ल प्रेम का आह्वान करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।

जहाँ वासुदेव के लाल को
यशोदा सी माँ मिल जाती है
धर्मों से परे समाज को
जहाँ जोधा राह दिखाती है
नल दमयन्ती के किस्से
जहाँ घर घर गाये जाते हैं
द्रौपदी कि लाज बचाने
जहाँ खुद कृष्ण चले आते हैं
भारत कि इस गरिमा को
नतमस्तक हो प्रणाम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।

जो पति को परमेश्वर कि
पवित्र संज्ञा बताती है
जिसके नाम से माँग में
चटक सिंदूर लगाती है
अकेले बाद में खाती है
पहले सबको खिलाती है
माँ, बहू, बहन न जाने
कितने रिश्तें निभाती है
कभी नहीं सोचती है कि
थोड़ा सा भी आराम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।

जग में फिर से जीने का
उम्मीद नई जगाती है
रिश्तों को सहेज कर
घर को घर बनाती है
मीठी मिश्रि सी बोली
सुंदरता परी समान है
सादगी सभ्य पहनावा
घूँघट जिसकी पहचान है
भारत कि इस गरिमा को
नतमस्तक हो प्रणाम करूँ
आज किस शब्द के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करूँ ।

मिथिलेश मैकश
#छपरा

नारी न हो जग मे
नर का असतितव अधुरा है ।
लछमी न हो संग मे तो
नारायण भी नही पुरा है ।
भारत की हर माता का
हरदय से मै सममान करू ।
आज किस शबद के साथ मै
भारतीय नारी का जयगान करू ।

Monday, 25 September 2017

कुछ फूल हरे डालों के न जाने क्यूँ बिखर जाते है

भईया की एक रचना ,जिसे पढ़कर मुझे काफी सुकून मिलता है ..लभ यु भईया
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कुछ फूल हरे डालों के न जाने क्यूँ बिखर जाते है
कई साल न जाने कैसे कुछ लम्हों में गुज़र जाते है
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फ़र्क कल और आज में होता है कितना , ज़रा देखो
महसूस करके वो ख्वाब , जो निगाहों में नज़र आते हैं
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यादों के टुकड़े चमकते है मन के कोने - कोने में
जैसे  फर्श  पे  शीशे  के  टुकड़े  बिखर  जाते  है
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तेरी नज़रों से देखा करते थे दुनियाँ को कल तक
अब दुनियाँ के हर शै में तेरे चेहरे नज़र आते है

   - Manoj Kumar

कुछ फूल हरे डालों के न जाने क्यूँ बिखर जाते है

भईया की एक रचना ,जिसे पढ़कर मुझे काफी सुकून मिलता है ..लभ यु भईया
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कुछ फूल हरे डालों के न जाने क्यूँ बिखर जाते है
कई साल न जाने कैसे कुछ लम्हों में गुज़र जाते है
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फ़र्क कल और आज में होता है कितना , ज़रा देखो
महसूस करके वो ख्वाब , जो निगाहों में नज़र आते हैं
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यादों के टुकड़े चमकते है मन के कोने - कोने में
जैसे  फर्श  पे  शीशे  के  टुकड़े  बिखर  जाते  है
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तेरी नज़रों से देखा करते थे दुनियाँ को कल तक
अब दुनियाँ के हर शै में तेरे चेहरे नज़र आते है

   - Manoj Kumar

Saturday, 16 September 2017

मिलऽ ओकरे से,जेकरा मिले के मन होखे

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लाख रुपिया पइसा,चाहे केतनो धन होखे
मिलऽ ओकरे से,जेकरा मिले के मन होखे

खाली मुंह से केहु बोला देबे,त ना जाये के
बेकार लागेला जब जा, त केवारी बन होखे

ई रोज - रोज के निमक माँगल,ठीक ना ह
अब घरे आपन चूल्हा,आपन बरतन होखे

शांति से नुन तेल खा ल,उ अच्छा ह भईया
पेट भर जाये , भलही तनि चटक कम होखे

मज़ाके मज़ाक मे एहिजा गोली चल जाला
ऊ आदमी से त दुरे रह,जेकरा अहम होखे

पीछे त भच -भच, सभे करेला आपना घरे
केहु बा?जेकरा सोझा कहे मे तनी दम होखे

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#बिना_बरखा_पानी
#रिलीज_होइ_17_सितम्बर_17_के_साँझ_के

#यूट्यूब_सब्सक्राईब करीं एह लिंक के दबा के
https://youtube.com/puruaa

#फेसबुक_पेज से जुडी, पेज के लाईक कर के
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थोड़ा और प्यार कर लेने दो

- - : थोड़ा और प्यार कर लेने दो : - -

कब आऊँगा कुछ पता नहीं
ये पल यादगार कर लेने दो
कि अभी दिल भरा नहीं है
थोड़ा और प्यार कर लेने दो
कि अभी दिल भरा नहीं है
थोड़ा और प्यार कर लेने दो ।

देखती रहो मुझे ऐसे ही
ये आँखें व्याकुल और प्यासी है
कि पास मेरे आ जाओ जरा सा
कि ये दूरी बस जरा सी है
सुधबुध खोकर अब मै
तेरा हो जाना चाहता हूँ
हाँ प्रिये तेरी बाहों में
आके सो जाना चाहता हूँ
दबी दबी जो दिल में है
वह व्यक्त उदगार कर लेने दो
कि अभी दिल भरा नहीं है
थोड़ा और प्यार कर लेने दो ।

सुनता हूँ जब तेरी आहट
दिल खुशी से खिल जाता है
जैसे कोइ छोटे बच्चे को
कोइ खोई चीज़ मिल जाता है
धड़क रही हो धड़कन में
दिल से दिल का नाता है
ये इश्क है या कुछ और
जो खींच मुझे यहाँ लाता है
पतझड़ सा जीवन तेरे बिन
मिलकर बहार कर लेने दो
कि अभी दिल भरा नहीं है
थोड़ा और प्यार कर लेने दो ।
  -  मिथिलेश मैकश
     #छपरा
     14 फ़रवरी

Saturday, 9 September 2017

मन_की_बात

#मन_की_बात
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सुबह सुबह good morning और शाम होते होते good night भेजने वालो शुभ चिंतको की आज कमी नहीं है। 50 व्हाट्सएप्प मैसेज में 35 तो इन्हीं लोगो का होता है।कुछ लोग इतने शुभचिंतक होते हैं की good morning के साथ चाय और बिस्किट भी सेंड कर देते है, good day वाला ,ताज tea के साथ। रोज की तरह मुफ़्त में मिलने वाली सुविचार की भी कमी नहीं है। कौन सा पैसा लग रहा है, भेजो दस बारह सुविचार कि अगला मजबूर हो जाये विचार करने में कि क्या किया जाय *ब्लॉक कर दिया जाये या लॉक कर दिया जाये, बता तेरे साथ क्या अडॉप्ट किया जाये*।
मुझे याद है कि जब sms के पैसे लगते थे तो उस sms की कीमत होती थी, उसमे वाकई श्रद्धा होती थी। लोग sms को प्यार की नजरों से पढ़ते थे। याद करते थे। अलजेब्रा की फॉर्मूला की तरह। आज व्हाट्सएप्प वाले मैसेज में अब वो श्रद्धा नहीं रही। लोगों को जब #साँप के जैसे एक लम्बा मैसेज भेजा जाता है तो लोगों को काटने लगता है। काटो तो खून नहीं वाला हाल हो जाता है। बैचेनी और कुलबुलाहट सी होने लगती है। अगला इस काट से बचने के लिये ब्लॉक नाम का #एभील ढूंढने लगता है।

पता नहीं आजकल good morning वाले में मैसेज में कौन इतना कलाकारी करता है की दिल भारी हो जाता है। एक ही मैसेज 20 जगह से घूम घूम के आता है पूछने कि और भाई क्या हाल है??😂😂 सब बढ़िया न?? नास्ता हो गया ?कि एक और मैसेज से ब्रेकफास्ट करा दु।आज मैसेज वाले नास्ते में फ्री का सलाह है, दिमाग को खट्टा करने वाली दही की बतकही है, दिमाग को फ्राई करने वाला जोक है।
एक बात आप लोग भी देखे होंगे, जो मैसेज भेजता वो भी पढ़ता नहीं है only copy paste। ऐसे भी इतना लम्बा मैसेज पढ़ने को किसके पास टाइम है। सभी बिजी है कॉपी पेस्ट और शेयर करने में। क्या दुनिया है और क्या लोग है, बिना पढ़े ही reply करते हैं.wow..😷😷😷speechless...गज़ब..बहुत खूब...भाई मजे तो तेरे ही हैं..वगैरह वगैरह।बिना पढ़े reply करने वालो को जनता माफ़ नहीं करेगी। कड़ारा जवाब मिलेगा। वेस्टेज ऑफ नेशन टाइम के तहत देशद्रोही घोषित किया जायेगा।

good night वाले मैसेज तो पढ़ते पढ़ते ही अब नींद आने लगते है। जब कोइ तकिया pillow के पिक के साथ good night मैसेज करता है तो माँ कसम नींद की फिलिंग आने लगती है। ऐसा लगता है कि अगला सज्जन  इसी साल सेमर के रुइ वाला तकिया का फोटो हमारे लिए ही save कर के रखा है और उसको पता है कि बिना तकिया भेजे बन्दे को नींद नहीं आएगी। कुछ शुभचिंतक चाँद तारे के साथ चाँद पे ले जाकर moon light का अनुभव कराते हैं।कुछ तो dinner के लिए बकायदा छप्पन भोग वाली थाली भी सेंड कर देते हैं। जल्दीबाजी में कभी कभी रात को good morning और सुबह में good night के मैसेज देखने को मिलते हैं।

कुछ मित्र ऐसे भी होते हैं जो good morning भेज कर 4 दिन की छूटी पर अंटार्टिका चले जाते हैं। reply करने के बाद भी reply नहीं करते हैं। चार दिन की अवकाश के उपरांत फिर आते हैं और good night लिखकर सत्य की तलाश में निकल जाते हैं। एक अलग किस्म के और प्रजाति है सोशल मीडिया पे, जो बस यही लिखते है  #और_क्या_हाल_है? #ठीक_है...हां भाई ठीक है आपके मैसेज आने के पहले तक खराब था...
फिर 2 घण्टे के बाद #और_भाई_क्या_हाल_है? #ठीक_है_न?? हां भाई बहुत मजे है, चाहिए क्या तुझे भी।
फिर 11 बजे रात को मेसेंजर में आएंगे, #और_भाई_क्या_हाल_है, #खाना_हुआ_की_नहीं?? नहीं भाई आज ब्रह्म बाबा का उपवास था, अब तुम आ ही गए तुम्हारा ही इंताजार था, तुम कहो तो कुछ खा लूं, बड़ी भूख लगी है।

Good morning ,good day , good evening, good night वाले मैसेज ने तो  512 MB वाले मोबाइल का इंटरनल मेमोरी भर दिया है। मोबाइल ऑन करते ही व्हट्सऐप ग्रुप के गैंग्स के कारण मोबाइल हैंग करने लगा है। बन्दे एक से एक ग्रुप बनाते है व्हट्सऐप पे
#गैंग्स_ऑफ_व्हट्सऐप, #शेरा , #चिता और आजकल नया में #भक्त_ऑफ_राम_रहीम चल रहा है। "#यादें_आसाराम_की" तो पुरानी हो चुकी हैं।

कुछ लोग हाय ! को अंगेरजी में इतना लम्बा  (#Hiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii) कर के लिखते हैं कि पढ़ने के बाद हिहिहिहिहिहिहि लगने लगता है ।अगले का दांत भी दिखने लगता है और पता भी चल जाता है कि उसने क्लोज अप का यूज किया है कि दंतकांति का।

फ्री का इंटरनेट और फ्री का व्हट्सऐप ने तो सीधे आदमी को परेशान कर रखा है। बेचारा एक मैसेज झेल नहीं पाता है कि अगला एक ऐसा चेक बाउंस वाला मैसेज सेंड करता है कि *अगर आप इस मैसेज को 111 लोगों को भेजोगे तो आपको तुरन्त माता रानी की कृपा होगी।और नहीं भेजोगे तो आपका jio का सिम खराब हो जायेगा। मैंने अभी 51 लोगों को ये मैसेज भेजा तो मुझे पालम फाटक के पास एक चमचमाती jio fi का router मिला।आपको अपने माँ की कसम।* अब समझ नहीं आता है कि क्या करें? ये फ्री के मैसेज वाले न सच में हँसती खेलती जिंदगी में लंका लगा दिया है।

आपने नोटिस किया होगा, good morning वाले मैसेज में कितने लोग एक लाल रंग का धड़कता हुआ दिल का पिक भेजते हैं जो हमेशा धड़कते रहता है बिना ऑक्सिजन और बिना सेल्स के। ये दिल तब तक धड़कता है जब तक आपके मोबाइल में नेट चल रहा है।ये जो #भरचुवल_दिल है न ,बड़ी ही कातिल है।

#मोराल :

मैसेज भेजना और उसी मैसेज को पढ़ना दोनो अलग चीज है। मैसेज भेजने वाला काम जितना सरल है , मैसेज को पढ़ना और दिल से  समझना उतना ही कठिन है। केवल कॉपी पेस्ट करना ही जिंदगी की सार्थकता नहीं है बल्कि  असल जिंदगी में उस चीज को सार्थक करना ही सार्थकता है। जिंदगी good morning ,good night ,good evening के sms से कहीं बढ़कर है। SMS नहीं जिंदगी को पढ़िए। मैसेज नहीं जिंदगो को share कीजिए।
passion को Like कीजिए और दिल को comment कीजिए। रोज एक नई idea को Save कीजिए। खुशियों को Live कीजिए। अच्छे कर्मो से फिर Back कीजिए। अपने लक्ष्यों के साथ Chat कीजिए। नई सोच को Wave कीजिए। फालतू के टेंशन को block कीजिए। अपनी क्षमता को poke कीजिए। अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से Update कीजिए। नई चुन्नौतियों को friend Request Send कीजिए।

#Facebook_में_जिंदगी_नहीं , #जिंदगी_में_Facebook_कीजिए। #Whtsapp_से_जिंदगी_नहीं , #जिंदगी_से_Whtsapp_कीजिए।

मिथिलेश मैकश
#छपरा

Friday, 8 September 2017

चार_जोड़ी_पूरी_आ_पोलाव_हलकाहे

#चार_जोड़ी_पूरी_आ_पोलाव_हलकाहे
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एकइस नवंबर ,दु हजार सोरह ,दिन रहे सोमार
पहुच गइले बाराती ,भाई हमार "मुन्ना कुमार"
नास्ता बटाता जेने , धेयान ओने खिचाइल बा
दु - दु बेर मांगला प , बाटे आला चिहाइल बा

पूछे लागल लोग की,कहाँ घर का तहार नाम बा?
बोलऽ खाली नस्ते से ,का पेट भरे के पलान बा?
दम तनि धरऽ भाई ,आउर पानियो तनि पिअऽ
पहिले एगो साधा ल मरदे ,त दोबारा फेर लिहऽ

अब रहाइल ना मुन्ना के , जाग गईल  जज्बात
कहले की ए भाई!,आज का तु कह देलऽ बात
एतना खाये पिये के त , आदत हमार डेली बा
आरे सब पच जाइ हो,परसो आर्मी के रैली बा

खाली देह पे मत जा , इंजन बारा बरियार बा
मये टोला जवार मे , एक पिस नाम हमार बा
बुनिया बाल्टी सोझा रखऽ, रसगुला रस गिरावऽ
आउर कवनो आइटम होखे ,त जा लेके आवऽ

कहिये  से  सुखाइल  बानि , सरजू नदी जइसे
खाइल ना जाइ त ,पेट्रोल के दाम सधी कईसे?
ढेर भइल मीठा मीठा,चटनी तनि चटावल जाव
कोट जले खोलऽतानी,आउर कुछ लिआवल जाव

तनि पि लेबे द पानी ,जगह पेट मे बनावल जाव
तनि आगे घुसुक भइयवा ,पैर के फैलावल जाव
भाई हव मरदे तनि हमरो से,मिल लिहऽ अंतिम मे
सभ कुछ खिआ के,तनि दही पिआ दिहऽ अंतिम मे

आरे जीयान ना होइ मरदे , गभुआ तारऽ काहे
अबे  बस कुछे देर मे , तहरा  लाग  जाई  थाहे
मये मेटेरियल डालत रहऽ , लाहे लाहे हुमचाहे
चार   जोड़ी    पूरी    आ    पोलाव    हलकाहे

#मिथिलेश_मैकश

#लिखी_भोजपुरी_पढ़ी_भोजपुरी
               #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

#बाली_सुग्रीव_का_युद्ध

#बाली_सुग्रीव_का_युद्ध

#भाग - 1

#बाली

पट हो जाते सब एक ताली में
दस हाथी का बल है बाली में
मुझसे कोई लड़े किसकी आफत ?
आ सुग्रीव ,देखूँ है कितनी ताकत ?

अभी तो , हार के गया है तू
फिर किस मुँह से आया है तू ?
बता तेरे मन में आज क्या है ?
दुबारा आने का राज क्या है ?

तू चीज़ क्या है मै जानता हूँ
अच्छी तरह से पहचानता हूँ
तुम्हारे जैसे कई मैंने देखें हैं
फूलों के जैसे तोड़ के फेंके हैं

क्या कहूँ बिच्छू का डंक है तू
भाई के नाम पर  कलंक है तू
अगर जो तू मेरा भाई न होता
तो यहाँ देता दिखाई न होता

चुल्लु भर पानी में डूब मरो
फिर जितना मन उतना लड़ो
तू आया है किसी बहकावे में
तू छला है किसी छ्लावे में

मै कहता हूँ पछतायेगा तू
हार के यहाँ से जायेगा तू
एकबार ये कहने का फर्ज है
तू चल जा वापस ये अर्ज है

तू भी याद रखोगे भाई को
सोचो क्या कहोगे भाई को
चल गदा अपना पीछे लेता हूँ
तुझे और  एक मौका देता हूँ

#सुग्रीव

ऐ बाली मै तो लड़ने आया हूँ
पत्नी का बदला लेने आया हूँ
अब फिजूल कि बात ना कर
आ सामने अगर नही है डर !

चिंगारी ने  रूप  ले  रक्खी थी
अब आग तो लगनी पक्की थी
अब समय भी न अवरुद्ध हुआ
भाई से भाई में  खूब युद्ध हुआ

कोई नीचे था तो कोई उपर था
पर बाली को अब जरा न डर था
अब एक अलग निशान था उसका
पुष्प माला का पहचान था उसका

अब तो जीत उसी के साथ था
क्योंकि प्रभु का उसपे हाथ था
बाली के पक्ष में तो बला था अब
समय आगे निकल चला था अब

#भाग - 2

प्रभु ने पेड़ का सहारा लिया
वचन को अपना पूरा किया
समय , समय निगल चुका था
तीर कमान से निकल चुका था

सुग्रीव ने  साजिश रचा था ये
अब बाली को क्या पता था ये
उचित समय  ,पाकर बाली को
एक तीर लगा जाकर बाली को

बाली यह सोचकर परेशान था
तीर के पीछे किसका कमान था
उसने मुड़कर  ज्यों पीछे देखा
यही था  उसके कर्म का लेखा

नागफनी को खूब खिलते देखा
सुग्रीव को राम से मिलते देखा
गुस्सा में  और  वह लाल हुआ
सभा बैठी जवाब सवाल हुआ

बाली कि आँखें भर आई थी
अब बात कि बस लड़ाई थी
उसे छल से किसी ने मारा था
पहली बार किसी से हारा था

#भाग - 3

#बाली
ये जीत नहीं ये तो हार है
ऐ राम तुझपर धिक्कार है
साहस था तो सामने आते
कितना ताकत था दिखाते ?

पीठ पीछे से वार किया है
युद्ध नीति शर्मशार किया है
ये मानवता का अपमान है
ये कायरता का पहचान है

कैसे समझे कि नर हो तुम
सुरमा नहीं कायर हो तुम
बाली क्या परिचय बताये ?
है दम तो कोई सामने आये !

मेरे सामने जो भी आ जाये
आधा बल उसका भी आये
छह महीने दबाकर बाजू में
रखा था रावण को काबू में

सुग्रीव का चाल समझ न पाया
जोश में   आकर   होश गँवाया
तारा  का   कहना   माना होता
तो  यहाँ  नहीं   पछताना होता

कैसे कहूँ किसने मुझे मारा है
सच है , भाई से भाई हारा है
दुख तो आज मुझे इसी का है
यहाँ  कोई नहीं  किसी का है

जिसपे इतना विश्वास किया है
उसी ने मेरा  सर्वनाश किया है 
ऐ सुग्रीव! क्या पाठ  पढ़ाया है
भातृत्व रिश्ते पे दाग लगाया है

जा सुग्रीव!  लेले इस राज्य को
हँसी खुशी रखना साम्राज्य को
हे प्रभु आप तो ये काम न करते
रघुकुल  रीत  बदनाम  न करते

हमने क्या आपसे   छल किया
जिस चीज का ऐसा फल दिया
आप तो  मर्यादा पुरुषोत्तम हो
तीनों  लोक में सबसे उत्तम हो

#श्रीराम
तूने काम किया व्यभिचारी का
बाली तुझपे दोष पराई नारी का
सुग्रीव के पत्नी का हरण किया
तूने नारी के साथ दुष्कर्म किया

चाहे छल से हो चाहे बल से
इसमें  कोई  अभिशाप नहीं
जो रखता है पराई नारी को
उसे मारने में कोई पाप नहीं

जो इस जग मे जैसा करता है
कर्मों के  हिसाब  से मरता है
अपनी गलती वहीं क्षय किया
बाली ने प्रभु से विनय किय

#बाली
जो भूल  चूक हुई  माफ करो
बस  मुझपर  ये  इंसाफ करो
मेरे अंगद को अपने साथ रखो
आशीष दो माथे पे हाथ रखो

अंगद ने श्रीराम के चरण छुए
प्रभु देख यह भाव विह्वल हुए
गूँजने लगी ध्वनि एक समान
सब बोलने लगे जय श्री राम
जय श्री राम    जय श्री राम

#मिथिलेश मैकश
#छपरा

Note :-
बहुत पहले की एक बाल रचना। बात तब की है जब मै कविता लिखने की शुरुवात की थी। बस कुछ भाव थे और कुछ टूटे फूटे शब्द थे। फिर भी ये मेरा इतिहास है और इतिहास को कभी भूलना नहीं चाहिए।

Wednesday, 6 September 2017

#अंदर_आना_मना_है #सौ_रुपिया_जुर्माना_है

#अंदर_आना_मना_है
#सौ_रुपिया_जुर्माना_है

इ शायरी के पढ़ला धीरे धीरे लागता कि एक दशक होइए गइल होइ। आज के समे मार्केट से गायब बा। हमरा याद बा अबहूँ कि कइसे कवना भाव आ दिल लगा के सुती भा दुसुती के #पर्दा प जनाना लो आपन मन के बात शायरी के माध्यम से कहत रही लो।
#स्वागतम् ,

#आइये_आपका_इंतज़ार_है ,

#
"#अंगीठी_पर_पतीली_पतीली_में_पानी
#आप_हमारे_राजा_हम_तुम्हारे_रानी"

"#आलू_के_भुजिया_भुजते_में_जर_गये
#ए_पिंकी_के_पापा_हम_तहरा_यादे_में_मर_गए"
..
....शायरी साभार : गुरुजी Swarganand Maharaj

#नाजुक_सी_कली_को_मोड़ते_नहीं_है , #दिल_लगाके_किसी_का_तोड़ते_नहीं_हैं,

#अंदर_आना_मना_है, #सौ_रुपिया_जुर्माना_है
वगैरह वगैरह।
ओह समे Btec वाला लोग से जादा भेलु हिन्दी के लिखे आ पढ़े वाला के रहे। काहे ना भले ओकरा हरसई आ दीर्घइ के मात्रा के बोध ना होखे। बस ओह घरी देश के जरूरत रहे एगो अइसन लइका के जवन जनाना लो के ब्लैंक पर्दा प एगो दुगो शायरी लिख देबे लो। छोट छोट लइकवन के भी बड़ी खोज रहे ओह घड़ी।बड़ी भाव खात रह स। आपन महिला समाज ओतना शिक्षित ना रहे जेतना की आज बा।
मेहरारु लोगन के पर्दा के शायरी प सुई आ चमकउवा सितारा लेके पर्दा प मैट्रिक परीक्षा नियन एकाग्रता देखले बानी। गजब के मेहनत, ओतना त बॉयोलॉजी के प्रैक्टिकल में भी केहु फोटो ना बनाये जेतना की पर्दा प घइला (घड़ा) बनावे में लोग करत रहे। #WELCOME के नीचे 20 लीटर के बड़का घइला के फोटो आ घइला के ऊपर पांच गो बनावटी पत्ता। दादा हो उ पर्दा ना होके दुवारी के इज्जत सिंगार होत रहे। बियाह शादी में अंगना में जले लोग पढ़त ना रहे तले ओकरा बुनिया पुड़ी पचत ना रहे। लोगन के आस्था आ संस्कृति जुड़ल रहे उ पर्दा से जवन आज के समे में बिलुप्त हो गइल बा।

कहिये से खोजत बानी कि कहीं से मिल जाइत त फोटो खिच के रख लेती #गौतम_भाई_के_मेहरारू के कामे आइत। गौतम भाई के मेहरारू बड़ी सवखिन हई सिलाई कढ़ाई में। पर्दा त पर्दा उ आजो तकियन के केतना खोली प एक से एक शायरी लिख के रखले बारी। कहीं  गांव में तिलक भा बियाह रहेला त उनकर लिखल शायरी वाला तकियन के खोज होला। डिमांड बा पूरे बक्सर में। तिलकहरु लो बड़ी ध्यान से तकिया प लिखल शायरी पढ़ेला।दिल से। जे जादा भाव में डूब जाला उ ओहिजे कलम कोपी निकाल के नोट कर लेबेला प्रीतम भाई नियन।
एकबेर के बात ह , प्रीतम भाई के उहे तकिया कहीं से मिल गइल जवना प गौतम भाई बो गौतम जी खाती कुंवारे में एगो सायरी लिखले रही #फूल_है_गुलाब_का_उठाते_क्यों_नहीं_हो, #बात_जो_दिल_में_है_बताते_क्यों_नहीं_हो। अब प्रीतम भाई के कलाकारी देखीं , बड़ी बड़का कलाकार हवन। Aritst वाला कलाकार। कलम उठइलन आ नीचे लिख देलन
#वादा_है_बजरंग_बली_से_याद_रखना
#हम_आएंगे_तुम्हारे_गली_में_याद_रखना
#मैं_सेहरा_बाँध_के_आऊंगा_मेरा_वादा_है ......

पर्दा तकिया के बाद #रुमाल पे भी प्यार के बैचेनी आ दिल के लेपटाइल उझुराइल देखले बानी। बड़का बड़का चाकर रुमाल पे 10CM के दिल के धड़कल देखले बानी। लोग रुमाल के मुंह से ना दिल से पोछत रहे। लोग इस्त्री करत रहे कि दिल के क्रिच हमेशा टनटनाइल रहे। कला के सवखिन लो रुमाल पे जगह देख के चार गो गुलाब के थाला मार देत रहे लो। पिछिला महीना जब बखोरापुर में गौतम भाई से भेंट भइल रहे त गौतम भाई ,प्रीतम भाई के एगो रुमाल गिफ्ट कइलन जवना प लिखल रहे #बहुत_प्यार_करते_हैं_तुमको_सनम.....।हमरा नजर में त  उ रुमाल किडनी से भी बेशकीमती रहे।अनमोल जवना के मोल लगावल मुश्किल बा। आपन करेज आ आपन दिल एगो रुमाल में बान्ह के केहु कइसे केहु के गिफ्ट कर सकता। सोची केतना दिल में जगह बा प्रीतम भाई खाती। गौतम भाई आ उनुकर परिवार अइसही बनल रहो। खूब तकिया , पर्दा , रुमाल , के माध्यम से  शायरी होत रहे आ प्यार दुलार समुन्दर नियन गहिरा होत रहो। लभ यु गौतम भाई। सिलसिला जारी रहे। असली मजा ओहि में बा जवना में दिल के उद्गार होखे आ अंदर से प्यार होखे। व्हाट्सएप्प आ फेसबुक प त खाली कॉपी पेस्ट चलेला। मार्केट में कुछ नया बा त उ बा गौतम भाई के तकिया , दुसुती के पर्दा आ तिनकोनिया रुमाल जवन कबो #मिथुना लिलारी बान्ह के घूमत रहे मृत्युदाता में।

कबो कबो सोचिला आखिर पर्दा आजकल लउकत काहे नइखे। आजकल एतना पढ़ल लिखल समाज होखे भी संस्कृति गायब काहे भइल जा तिया। शायद एकरे के कहल जाला समय चक्र। amazon फ्लिपकार्ट ऑनलाइन से जवन पर्दा अदिमि मंगावत बा ओकरा में उ शालीनता आ मन के हरे वाला मनोहर बात नइखे जवन कबो अपना गांव समाज में दुवारी दुवारी प लहरात आ जिंदा बचल संस्कृति के परीचायक रहे। इहो एगो संस्कार रहे जवन घर में घुसते आ मुड़ी त रखते लउकत रहे। पर्दा प जड़ल चमकउआ रंग- बिरंग सितारा सितारा ना ,बलुक कल्पना आ निच्छल प्रेम रहे। केतना दिल लगा के लोग कलम से खिचल डरेरी प आपन दिल लगावत रहे। गहना गुड़िया के बाद जदि कवनो चिझ रहे जेकरा के लोग झापी में राखत रहे त उ रहे दुसुती के सायरी वाला पर्दा, शायरी वाला तकिया के खोल।

हमरा उमीद बा कि राजू भाई के #कोहबर शॉर्ट मूवी में भी उ पर्दा देखे के मिली। काहे से कि कोहबर वाला घर के दुवारी प शायरी वाला पर्दा देखले बानी। #राजू_भाई के कोहबर में जाये के बेरी जब गेट प शायरी सुनावे खाती साली लो दुवारी छेकली त राजू भाई हरबरा गइलन। अब शायरी त याद ना रहे त लगलन नारा सुनावे #सबका_साथ_सबका_विकास। साली लो ना मनली कहली की इ ताहर संसदीय क्षेत्र ना ह जवन की आइल बार एहिजा नारा देबे आ भोट मांगे। शायरी सुनाव शायरी ना त अंदर जाना मना है सौ रुपिया जुर्माना है। राजू भाई के अकिल छितराइल बा। याद करत करत एगो कविता याद पड़ल उनुका जवन पिछिला साल  लिखले रहन #बिहार_बोर्ड_करे_लागल_कड़ाई , #का_करी_पढ़ी_कि_छोड़_दी_पढ़ाई। साली लो के मन झनझना गइल कहली लो की लियाव सखी त चंपवा के सिलवट के लोढ़ा आ मार के एकर गलिया पचकाव स त रे। हसुवा के बियाह में खुरपी के गीत गावता। मार के लोला पचका द स। बेचारी सास दूर से देखत मोहात रहली। आहि दादा लगली राजू भाई के पक्ष लेबे । कहली भगबु लो की ना इंहा से। बताव हेतना सुंनर दामाद के कइसे मार तारी स रे। आहि ए हमार बाबू, हमार लाल....बनल रहा। खूब खुश रहा। क्रमशः.....आगे फेर अगिला बात लिखाई तले राजू भाई के कोहबर सिनेमा के पोस्टर देखीं। जल्दिये ट्रेलर आ मूवी दुनु आये वाला बा। राजू भाई के आज रावा लोगन के आसिरबाद के जरूरत बा। आगे आई आ भोजपुरी के असल्लीलमुक्त बनावे में एक कदम साथ दिही।

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी