Wednesday, 21 March 2018

जब बेटे का दर्द, बाप को होता है

जब बेटे का दर्द, बाप को होता है
हंसता है ऊपर से अंदर से रोता है

नादान है वह,उसको समझाऊ कैसे
रोता हूँ मै भी , जब भी वह रोता है

इंसानी फितरत, सिर्फ पाना चाहती है
इंसान होता मायूस, जब भी खोता है

ये कौन जान सका है भला, जिंदगी में
बदलते वक्त के साथ क्या क्या होता है

जीतता है इस संसार मे वही इंसान
हार के बाद भी जो उठ खड़ा होता है

                                     - मनोज कुमार

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