ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
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जनता बुरबक, लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
चिचियाता लोग ,परपरात बाटे
मुंह के भीतर ना , घोटात बाटे
दृढ़ के बाँध अब , टूटल जाता
मिठ बोली बोलके,लूटल जाता
काम कहीं त लउकत नइखे
बस पन्ने पे रोजगार बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
योजना प योजना, चालू होता
कोरला प खाली , आलू होता
ना घोटाला,ना केहु खात बावे
पता ना,पइसा कहाँ जात बावे ?
बीरबल के खिचड़ी नियन
बइसाख के करार बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
खेल खेलतावे ,बेलाफार नियन ?
दमि कछले बाटे ,घटुवार नियन ?
लोग एनो ओने , ताकता माकता
तहार कवन खोपी में आम पाकता ?
कहीं चकचक अंजोरिया त
कहीं साफे नु अन्हार बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
- मिथिलेश मैकश
नोट : एह कविता के कवनो सरकार से सम्बन्ध नइखे। केहु के अइसन कुछ लागता त मात्र एक संयोग कहल जाई।
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