Thursday, 5 October 2017

ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
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जनता बुरबक, लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

चिचियाता लोग ,परपरात बाटे
मुंह के भीतर  ना , घोटात बाटे
दृढ़ के बाँध  अब , टूटल जाता
मिठ बोली बोलके,लूटल जाता
काम कहीं त लउकत नइखे
बस  पन्ने  पे  रोजगार  बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

योजना प योजना, चालू होता
कोरला प खाली , आलू होता
ना घोटाला,ना केहु खात बावे
पता ना,पइसा कहाँ जात बावे ?
बीरबल  के  खिचड़ी नियन
बइसाख   के   करार  बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

खेल खेलतावे ,बेलाफार नियन ?
दमि कछले बाटे ,घटुवार नियन ?
लोग एनो ओने , ताकता माकता
तहार कवन खोपी में आम पाकता ?
कहीं चकचक अंजोरिया त
कहीं साफे नु अन्हार बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

- मिथिलेश मैकश

नोट : एह कविता के कवनो सरकार से सम्बन्ध नइखे। केहु के अइसन कुछ लागता त मात्र एक संयोग कहल जाई।

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