Tuesday, 3 October 2017

खाली मुँह से फुकला से, तूफान ना होइ

जे कहऽता की,भाषा के समाधान ना होइ
अइसन दिआइ नु , की फेर अरान ना होई

मंगल पांडे , विर कुंवर सिंह ,जे.पी. बाबू
एतना नाम गीनाएम की, सकान ना होइ

जगजाहिर बा , पीछा ना हटे भोजपुरिया
कहऽत त बानि,चपा जइब उठान ना होइ

जदि बिलम होता देर -सबेर ,तऽ होखे द
का मुरगा ना बोली , तऽ बिहान ना होई?

कुछ आपनो लोग बा,जे हिचकिचात बा
खाली मुँह से फुकला से, तूफान ना होइ

तु लिखत रहऽ बस ,लोग के भले कहे द
जले तु ना चहबऽ,तहार नुकसान ना होइ

आरे आदमी हवऽ लो,की पथर हवऽ लो
माई भाषा ला,एतनो स्वाभिमान ना होई?

जदि मये लोग आजो से,मन से लगले,त
'भोजपुरियन' के मेहनत,जियान ना होई

- मिथिलेश मैकश

No comments:

Post a Comment