दिल के रिश्ते क्यूँ इतने अजीब होते है,
अजनबी हो कर भी, वो अपनों से अज़ीज़ होते है
देखते है हर तरफ़ बस उसी का चहेरा
आंखों से ओज़ल वो कहीं आस पास ही होते है
हाल-ऐ-दिल सुना ने को लब्ज़ होते नही साथ
और वही फ़साना अक्सर आंखों से बया करते है
भीड़ में अक्सर होते है तनहा
और तन्हाई में किसी के ख्यालों से घीरे रहते है
तोड़ना चाहते है दुनिया के हर रस्म- ओ - रिवाज़
और प्यार के कच्चे धागे से उम्र कैद होना चाहते है
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