Tuesday, 3 October 2017

#लट्टू_के_खेल

#लट्टू_के_खेल

लट्टू दू तरह के होला , #मुरुगा आ #मुरुगी । पुरुष प्रधान समाज के चरित्र के अनुसार लईकन में मुरुगा लट्टू के अधिका मांग रहेला । लट्टू केवल मात्र छोट लईकन के खेल ह । ई खेल लईकी सब में प्रसिद्ध नइखे ।

लट्टू के खेल खेले खातिर सबसे पहिले लट्टू नचावे आवे के चाहीं । एक दिन के कहो दू चार दिन में भी रउवा बढ़िया से सीख जाईं त ई एगो बड़ बात कहाई । सबसे पहिले लट्टू के लत्ति ( डोरी ) के गूंज धईले लट्टू के घाटन पर बढ़िया से लपेटे के सीखे के परेला । नचावे खातिर फेर लट्टू के जमीन पर डोरी सहित ए तरे फेंकल जाला कि गूंज सबसे पहिले खड़ा जमीन पर गिरे । जमीन पर गिरते के साथे लत्ति के एह अंदाज से अपना इयोर हल्का खींचल जाला कि लट्टू गूंज के आधार पर नाचे लागे । इहे अंदाज  अभ्यास के मूल में बा आ थोड़े कठीन बा । कई बार लगातार रह रह के कुछ दिन अभ्यास कईला पर ई साधना केहू भी साध सकेला । जदि लट्टू जमीन पर गूंज के सहारे ना गिर के ठक से गिरेला त ओके भाठा कहल जाला । जी , क्रिकेट खानि थोड़े थोड़े टेक्नीकल शब्द भी बाड़ी सन एह टोला मोहला के  गरीब गुरुबा लईकन के खेल में ।
लट्टू के नाचे के कला के ऊपर ही मुरुगा मुरुगी नाम धईल बा । जइसे कि नर आ मादा भईल कवनो बेकति के बस के बात नइखे , ई दईब द्वारा ही निर्धारित होला । अवुसहीं लट्टू के मुरुगा मुरुगी भईल लट्टू के बनावट में लोहा के गूंज के ठोकाइ पर निर्भर होला । एक बार फिक्स हो गईला पर ई चरितर स्थायि हो जाला ।
मुरुगा लट्टू वेग से नाचत नाचत आपन जगह बदलत रहेला । नाच खतम भईला के बादो फुर्ती से आपन गति से दूर ले फुरफुरा के भागेला । मुरुगी लट्टू के नाच थोड़ही दूर में होला आ नाच खत्म भईला के बाद ओहि स्थान पर फदफदा के रुक जाले । माने ओहिजिये अण्डा पार देले । मुरुगी लट्टू के इहे चाल गोलघरा खेल में ओकरा के ढेर पदावेला । गोलघरा खेल में नाचला के बाद लट्टू के गोल घेरा से बहरी निकले के परेला । अंडा पारला के कारण ऊ धरा जाले आ चोर बने के परेला ।

#गोलघरा_खेल : मुरुगा लट्टू के जरूरत गोलघरा खेल में ढेर होला । एह में धरती पर एगो गोल घेरा लत्ति के लम्बाई के हिसाब से बना देहल जाला । गोल घेरा के बाहिरहीं से घेरा में लट्टू नचावे के नियम ह । 4 - 8 लईका एह खेल में शामिल हो सकेले । सबसे पहिले एक आदमी के चोर बनावल भा चुनल  जाला जेकर लट्टू बीच गोलघर में धराला । एह से खेल शुरू के पहिले सब लट्टूबाज एक साथे लत्ति लपेट के लट्टू नचावे के कोशिश करेले । फेर नाचत लट्टू में डोरी फंसा के ऊपर खींच के हवा में लट्टू के लोके के कोशिश करेले । एकरा के चोखा कहल जाला । जे सबसे पहिले लोकेला भा कैच करेला ऊ लोकते के साथ मुहँ से चोखा शब्द बोलेला जेमे जे सभे ई सुन लेव । माने सबसे पहिले ऊ पुंग गईल । जे सबसे अंत में चोखा लेला , माने पुंगेला ऊ चोर धराला । अब ओकर लट्टू गोलघेरा में धरा जाई आ अउर सब लट्टूबाज ओकर लट्टू के आपन लट्टू के गूंज से नचावत बेधे के कोशिश करेले । लोहा के गूंज के वार से कई बार लकड़ी के पातर चुन्नी भी ओदर जाला । जदि एह क्रम में केहू के लट्टू ओहि गोल घेरा के बीचे ही नाचे लागेला त ऊ गोइयाँ ई इंतज़ार करेला कि नाचला के बाद ओकर लट्टू ओह घेरा से फुरफुरा के बाहरी आ जाव । अगर ओहि घेरा में रह गईल त उहो चोर धरा जाला । फेर ओह लट्टू पर भी घेरा के बाहरी से लट्टू नचावत दोसर गोइयाँ गूंज से प्रहार करे के कोशिश करेले । अउर जदि लट्टू से वार करत समय ठोकर से सब लट्टू बहरी आ गईल त पुंगे के क्रिया दनादन तेजी से शुरू हो जाला । फेर सबसे अंत में पुंगे वाला गोइयाँ चोर बनेला । ए तरे ई खेल आपसी सहमति से आपसी सहमति तक चलत रहेला ।

#टेक्नीकल_शब्द : गूंज , लत्ति , भाठा , मुरुगा , मुरुगी , चोखा आदि । अच्छा खेलाड़ी के योग्यता में बा आधा लत्ति लपेट के भी लट्टू नचा के जल्दी से लोके भा चोखा लेबे के छमता ।

फोटो : राइड फॉर जेंडर फ्रीडम के साइकिल से भारत भ्रमण पर निकलल राकेश कुमार सिंह आ हम । स्थान : लोकनायक जय प्रकाश नारायण के गाँव सिताबदियारा । फोटोकार : usha titikchhu , काठमांडू से भ्रमण पर आईल फोटो पत्रकार ।
समय : दिसंबर , 2015 ।

साभार :-

- P Raj Singh

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