Monday, 30 October 2017

ठीक बा हम बुरबक हई, हुशियार तुही रहऽ

कुकुर ,सियार ,बिलार, दतचियार तुही रहऽ
ठीक बा हम बुरबक हई, हुशियार तुही रहऽ

दुगो चेला पकड़ऽ, ज्ञान बाटत रहऽ
अपने थूकऽ ,फेर अपने चाटत रहऽ
लाज शरम निभा द , लंगटे उघार तुही रहऽ
ठीक बा हम बुरबक हई, हुशियार तुही रहऽ

मुँह फुला लिही, देखऽ रोइ कइसे
कुकुर के पोछ, सीधा होई कइसे
हमनी के फ्लॉप आदमी, जा स्टार तुही रहऽ
ठीक बा हम बुरबक हई, हुशियार तुही रहऽ

उजड़ल हम ,उजियार तुही रहऽ
सुटुकल हम, छितनार तुंही रहऽ
हलुका क द आज,धरती के भार तुही रहऽ
ठीक बा हम बुरबक हई, हुशियार तुही रहऽ

#चालाख_लोमड़ी

का इ संभव बा?

का इ संभव बा?
                       ______________

ससुरार मे साली होखे आ जीजा के प्यारी ना होखे?
एगो मेहरारू होखे आ ओकर दस गो साड़ी ना होखे?
बियाह होखे आ अंगना मे भसुर के गारी ना होखे
रोटी होखे आ ओकरा साथे आलू के तरकारी ना होखे?
का इ संभव बा?

तरकुल के गाछ होखे आ लबनी मे ताड़ी ना होखे?
सपा के सरकार होखे आ जादो लो सरकारी ना होखे?
स्मार्ट फ़ोन होखे आ फेसबुक के बेमारी ना होखे?
नाया घर बने आ पिछुती मे एगो दुआरी ना होखे?
का ई सम्भव बा?

सरकार कवनो के बने आ भाई बेरोजगारी ना होखे?
नेतन के मौज आ जनता लोग के लाचारी ना होखे?
कहीं घोटाला पे घोटाला त कहीं रंगदारी ना होखे?
कश्मीर होखे आ पकिस्तान के जयकारी ना होखे?
का ई सम्भव बा ?

गाय भइस होखे आ बाछा पाड़ा पाड़ी ना होखे?
होली के दिन होखे आ कपड़ा फाड़ा फाड़ी ना होखे?
ATM होखे आ लाइन मे धाका मारा मारी ना होखे?
काम करे जे छरहर आ देहचोर के देह भारी ना होखे?
का ई सम्भव बा?

मुखिया होखे आ ओकर घर मे आंगनबाड़ी ना होखे?
सुखी केतनो घर होखे आ दुख मे नारी ना होखे?
सुदामा केहु बने आ फेर किशन के यारी ना होखे?
निश्छल भाव होखे आ प्रेम के अकवारी ना होखे?
का ई सम्भव बा?

बुनिया पूरी होखे आ लइकन के किलकारी ना होखे?
जाहां नाच समियाना होखे आ दुनालिधारी ना होखे?
गोतिया केतनो आपन होखे आ पटिदारी ना होखे?
सरकारी जमीन होखे आ आपन फुलवारी ना होखे?
का ई सम्भव बा ?

परोरा के खेती आ लीलगाय के रखवारी ना होखे?
गांव कहीं भी होखे आ उंहा दियर बाधारी ना होखे?
उदास लइका होखे त उदास ओकर मतारी ना होखे?
बेटी कइसनको होखे आ बाबू के दुलारी ना होखे?
का ई सम्भव बा?

सरकारी ऑफिस होखे आ गायब कर्मचारी ना होखे?
चपरासीये होखे आ ओकर डेली के हजारी ना होखे?
कलर्क के उपरवार होखे आ चाय के उधारी ना होखे?
योजना कवनो होखे आ चोर अधिकारी ना होखे?
का ई सम्भव बा ?

- मिथिलेश मैकश
  छपरा

Sunday, 22 October 2017

वंदे मातरम्

वंदे मातरम्‌ ।

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्‌
स्यश्यामलां मातरम्‌ ।

शुभ्रज्योत्‍स्‍नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम्‌ ॥

वंदे मातरम्‌ ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले,
कोटि-कोटि-भुजैधृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्‌ ॥

वंदे मातरम्‌ ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति
हृदये तुमि मा भक्ति
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्‌ ॥

वंदे मातरम्‌ ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नामामि त्वाम्‌
कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्‌ ॥

वंदे मातरम्‌ ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां
धरणीं भरणीं मातरम्‌ ॥

वंदे मातरम्‌ ।

यादें

जितने वालों का एक निशाना होता है

केहू पड़ गइल पसन त हम का करी

गाँव के हम लइका हई

बूढ़ पुरनिया के ना होखे से , घर दुवार उदास लागेला

आदमी ना निराश होखे , त सबकुछ संभव बा

तहरा का मालूम ?

आओ उन्हें याद करें जिन्हें भुलाया गया है

Happy Deepawali

शिकायत क्यों करें , हम इस जिन्दगी से

Friday, 20 October 2017

बाबा आज रहतऽ त केतना आछा होइत #बाबा_आज_रहतऽ_त_केतना_आछा_होइत

[ 71. बाबा आज रहतऽ त केतना आछा होइत ]
#बाबा_आज_रहतऽ_त_केतना_आछा_होइत
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कहीं से अइतऽ त दू चार गो पाई देतऽ
रोवती तऽ चुप कराये ला मिठाई देतऽ

घुघुआ  माना  खेलइत अपना गोदी में
बइठाके हाथे खिअइत अपना गोदी में

कइसे भुलाई केतना हमें मानत रहलऽ
ठंडा लागत रहे त गाती बान्हत रहलऽ

हम जानीले हमें छोड़ के ना जइबऽ तू
हमरा बिस्वास बा कि  फेरु अइबऽ  तू

बजारी से जाके एगो पुतुल लिया द तू
सोनचीरईया के , काथा फेर सूना द तू

तहार सनेह के भाषा हम पढ़ ना पवनी
अखरेला कि जादा कुछ कर ना पवनी

काश जवन सोच तानी फेर से साचा होइत
बाबा ! आज  रहतऽ त केतना आछा होइत

(स्व० राजबलम राय) बाबा ..ताहर नाम ऊँचा रहे।
आज बड़ी याद आवत बारs

- मिथिलेश मैकश

Wednesday, 18 October 2017

अबकी बार दीपावली में

आपके चाहतों के दीये जल उठे
                    और वृद्धि हो खुशहाली में
खुशियाँ बरसे और मन हरसे
                    अबकी  बार  दीपावली में

फल  लगें और  फूल खिले
                    आपके जीवन के डाली में
पल पल आपका महक उठे
                     अबकी बार दीपावली में

अभी भेज रहा हूँ और आशीष
                     अपने प्यार की प्याली में
भर जाए मन का कोना-कोना
                    अबकी बार दीपावली में
 

  🏵🏵 Happy Deepawali 🏵🏵

Sunday, 15 October 2017

आदमी भले सांवर होखे बाकी नियत गोर होखे के चाही

आदमी भले सांवर होखे
बाकी नियत गोर होखे के चाही

आदमी भले कमजोर होखे
बाकी सोच मजगुत होखे के चाही

आदमी भले अकेला होखे
बाकी हिम्मत साथ होखे के चाही

आदमी भले डेब होखे
बाकी ओकर नजरीया सही होखे के चाही

आदमी भले निपढ़ होखे
बाकी ओकर सोच उंच होखे के चाही

आदमी भले गिर गइल होखे
बाकी ओकर नजर उठल रहे के चाही

आदमी भले टूट गइल होखे
बाकी दिल से दिल जुड़ल रहे के चाही

आदमी भले हार गइल होखे
बाकी ओकर विस्वास जीतल रहे के चाही

आदमी भले सुत गइल होखे
बाकी ओकर सपना जागल रहे के चाही

आदमी के भले ना बुझाये कुछु
बाकी आदमी के लागल रहे के चाही

आदमी भले उझुरा जाये
बाकी विचार सुझरल रहे के चाही

आदमी भले दुश्मन हो जाये
बाकी आदमियत जिंदा रहे के चाही

आदमी , समय भले बदल जाओ
बाकी इतिहास याद रहे के चाही

आदमी भले काच रहे
बाकी जज्बा पाकल रहे के चाही

आदमी भले छोट होखे
बाकी ओकर इरादा लामा होखे के चाही

आदमी भले गणित होखे
बाकी जीवन सरल होखे के चाही

आदमी भले हिन्दी होखे
दिल बाकी भोजपुरी होखे के चाही

आदमी भले कुछु बन जाये
बाकी आदमी बनल रहे के चाही

जन्मदिन के बहुत बहुत बधाई Nirala भईया। रउवा जिनगी में अइसही आगे बढ़त रही। राउर नाम यश कीर्ति जग में फैलत रहो। माई सरस्वती के असीम कृपा बनल रहो। जीवन मंगलमय हो। जय हो जय जय हो।

राउर छोट भाई

मिथिलेश मैकश
छपरा

Saturday, 14 October 2017

दिल के रिश्ते क्यूँ इतने अजीब होते है,

दिल के रिश्ते क्यूँ इतने अजीब होते है,
अजनबी हो कर भी, वो अपनों से अज़ीज़ होते है

देखते है हर तरफ़ बस उसी का चहेरा
आंखों से ओज़ल वो कहीं आस पास ही होते है

हाल-ऐ-दिल सुना ने को लब्ज़ होते नही साथ
और वही फ़साना अक्सर आंखों से बया करते है

भीड़ में अक्सर होते है तनहा
और तन्हाई में किसी के ख्यालों से घीरे रहते है

तोड़ना चाहते है दुनिया के हर रस्म- ओ - रिवाज़
और प्यार के कच्चे धागे से उम्र कैद होना चाहते है

Wednesday, 11 October 2017

लोकनायक जयप्रकाश नारायण

हसत मुस्कात चेहरा ,बोली मे जेकर मिठास हवे
सिताब दियर के माटी,नाम जेके जयप्रकाश हवे

जन्मदिन प हाथ जोड़ के बंदन हम करत बानी
रउवा नियन नेता के अभिनंदन हम करत बानी
ई दिनांक 11 अक्टूबर , हमनी  खाती खास हवे
सिताब दियर के माटी,नाम जेके जयप्रकाश हवे

अन्याय  के  खिलाफ  हमेशा  जेकर  समर रहे
सारण  जिला  के  लाल  नाम तोहार अमर रहे
आजादी से लेके ,सम्पूर्ण  क्रांति के इतिहास हवे
सिताब दियर के माटी,नाम जेके जयप्रकाश हवे

गांव जवार भा देश बिदेश गाथा तोहार गावेला
केहु लोकनायक केहु जे.पी. कहीके बोलावेला
चमकेला तेज़ राउर ,जइसे सुरुज के प्रकाश हवे
सिताब दियर के माटी,नाम जेके जयप्रकाश हवे

मैग्सेसे अवार्ड ,भारत रत्न ,चार चाँद लगावेला
अइसन रावा कके गइनी की लोग ना भुलायेला
आज रउवे जइसन नेता के भारत के तलाश हवे
सिताब दियर के माटी,नाम जेके जयप्रकाश हवे

- मिथिलेश मैकश

Thursday, 5 October 2017

ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

ए भाई, केकर सरकार बाटे ?
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जनता बुरबक, लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

चिचियाता लोग ,परपरात बाटे
मुंह के भीतर  ना , घोटात बाटे
दृढ़ के बाँध  अब , टूटल जाता
मिठ बोली बोलके,लूटल जाता
काम कहीं त लउकत नइखे
बस  पन्ने  पे  रोजगार  बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

योजना प योजना, चालू होता
कोरला प खाली , आलू होता
ना घोटाला,ना केहु खात बावे
पता ना,पइसा कहाँ जात बावे ?
बीरबल  के  खिचड़ी नियन
बइसाख   के   करार  बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

खेल खेलतावे ,बेलाफार नियन ?
दमि कछले बाटे ,घटुवार नियन ?
लोग एनो ओने , ताकता माकता
तहार कवन खोपी में आम पाकता ?
कहीं चकचक अंजोरिया त
कहीं साफे नु अन्हार बाटे
जनता बुरबक लाचार बाटे
ए भाई, केकर सरकार बाटे ?

- मिथिलेश मैकश

नोट : एह कविता के कवनो सरकार से सम्बन्ध नइखे। केहु के अइसन कुछ लागता त मात्र एक संयोग कहल जाई।

Tuesday, 3 October 2017

#लट्टू_के_खेल

#लट्टू_के_खेल

लट्टू दू तरह के होला , #मुरुगा आ #मुरुगी । पुरुष प्रधान समाज के चरित्र के अनुसार लईकन में मुरुगा लट्टू के अधिका मांग रहेला । लट्टू केवल मात्र छोट लईकन के खेल ह । ई खेल लईकी सब में प्रसिद्ध नइखे ।

लट्टू के खेल खेले खातिर सबसे पहिले लट्टू नचावे आवे के चाहीं । एक दिन के कहो दू चार दिन में भी रउवा बढ़िया से सीख जाईं त ई एगो बड़ बात कहाई । सबसे पहिले लट्टू के लत्ति ( डोरी ) के गूंज धईले लट्टू के घाटन पर बढ़िया से लपेटे के सीखे के परेला । नचावे खातिर फेर लट्टू के जमीन पर डोरी सहित ए तरे फेंकल जाला कि गूंज सबसे पहिले खड़ा जमीन पर गिरे । जमीन पर गिरते के साथे लत्ति के एह अंदाज से अपना इयोर हल्का खींचल जाला कि लट्टू गूंज के आधार पर नाचे लागे । इहे अंदाज  अभ्यास के मूल में बा आ थोड़े कठीन बा । कई बार लगातार रह रह के कुछ दिन अभ्यास कईला पर ई साधना केहू भी साध सकेला । जदि लट्टू जमीन पर गूंज के सहारे ना गिर के ठक से गिरेला त ओके भाठा कहल जाला । जी , क्रिकेट खानि थोड़े थोड़े टेक्नीकल शब्द भी बाड़ी सन एह टोला मोहला के  गरीब गुरुबा लईकन के खेल में ।
लट्टू के नाचे के कला के ऊपर ही मुरुगा मुरुगी नाम धईल बा । जइसे कि नर आ मादा भईल कवनो बेकति के बस के बात नइखे , ई दईब द्वारा ही निर्धारित होला । अवुसहीं लट्टू के मुरुगा मुरुगी भईल लट्टू के बनावट में लोहा के गूंज के ठोकाइ पर निर्भर होला । एक बार फिक्स हो गईला पर ई चरितर स्थायि हो जाला ।
मुरुगा लट्टू वेग से नाचत नाचत आपन जगह बदलत रहेला । नाच खतम भईला के बादो फुर्ती से आपन गति से दूर ले फुरफुरा के भागेला । मुरुगी लट्टू के नाच थोड़ही दूर में होला आ नाच खत्म भईला के बाद ओहि स्थान पर फदफदा के रुक जाले । माने ओहिजिये अण्डा पार देले । मुरुगी लट्टू के इहे चाल गोलघरा खेल में ओकरा के ढेर पदावेला । गोलघरा खेल में नाचला के बाद लट्टू के गोल घेरा से बहरी निकले के परेला । अंडा पारला के कारण ऊ धरा जाले आ चोर बने के परेला ।

#गोलघरा_खेल : मुरुगा लट्टू के जरूरत गोलघरा खेल में ढेर होला । एह में धरती पर एगो गोल घेरा लत्ति के लम्बाई के हिसाब से बना देहल जाला । गोल घेरा के बाहिरहीं से घेरा में लट्टू नचावे के नियम ह । 4 - 8 लईका एह खेल में शामिल हो सकेले । सबसे पहिले एक आदमी के चोर बनावल भा चुनल  जाला जेकर लट्टू बीच गोलघर में धराला । एह से खेल शुरू के पहिले सब लट्टूबाज एक साथे लत्ति लपेट के लट्टू नचावे के कोशिश करेले । फेर नाचत लट्टू में डोरी फंसा के ऊपर खींच के हवा में लट्टू के लोके के कोशिश करेले । एकरा के चोखा कहल जाला । जे सबसे पहिले लोकेला भा कैच करेला ऊ लोकते के साथ मुहँ से चोखा शब्द बोलेला जेमे जे सभे ई सुन लेव । माने सबसे पहिले ऊ पुंग गईल । जे सबसे अंत में चोखा लेला , माने पुंगेला ऊ चोर धराला । अब ओकर लट्टू गोलघेरा में धरा जाई आ अउर सब लट्टूबाज ओकर लट्टू के आपन लट्टू के गूंज से नचावत बेधे के कोशिश करेले । लोहा के गूंज के वार से कई बार लकड़ी के पातर चुन्नी भी ओदर जाला । जदि एह क्रम में केहू के लट्टू ओहि गोल घेरा के बीचे ही नाचे लागेला त ऊ गोइयाँ ई इंतज़ार करेला कि नाचला के बाद ओकर लट्टू ओह घेरा से फुरफुरा के बाहरी आ जाव । अगर ओहि घेरा में रह गईल त उहो चोर धरा जाला । फेर ओह लट्टू पर भी घेरा के बाहरी से लट्टू नचावत दोसर गोइयाँ गूंज से प्रहार करे के कोशिश करेले । अउर जदि लट्टू से वार करत समय ठोकर से सब लट्टू बहरी आ गईल त पुंगे के क्रिया दनादन तेजी से शुरू हो जाला । फेर सबसे अंत में पुंगे वाला गोइयाँ चोर बनेला । ए तरे ई खेल आपसी सहमति से आपसी सहमति तक चलत रहेला ।

#टेक्नीकल_शब्द : गूंज , लत्ति , भाठा , मुरुगा , मुरुगी , चोखा आदि । अच्छा खेलाड़ी के योग्यता में बा आधा लत्ति लपेट के भी लट्टू नचा के जल्दी से लोके भा चोखा लेबे के छमता ।

फोटो : राइड फॉर जेंडर फ्रीडम के साइकिल से भारत भ्रमण पर निकलल राकेश कुमार सिंह आ हम । स्थान : लोकनायक जय प्रकाश नारायण के गाँव सिताबदियारा । फोटोकार : usha titikchhu , काठमांडू से भ्रमण पर आईल फोटो पत्रकार ।
समय : दिसंबर , 2015 ।

साभार :-

- P Raj Singh

खाली मुँह से फुकला से, तूफान ना होइ

जे कहऽता की,भाषा के समाधान ना होइ
अइसन दिआइ नु , की फेर अरान ना होई

मंगल पांडे , विर कुंवर सिंह ,जे.पी. बाबू
एतना नाम गीनाएम की, सकान ना होइ

जगजाहिर बा , पीछा ना हटे भोजपुरिया
कहऽत त बानि,चपा जइब उठान ना होइ

जदि बिलम होता देर -सबेर ,तऽ होखे द
का मुरगा ना बोली , तऽ बिहान ना होई?

कुछ आपनो लोग बा,जे हिचकिचात बा
खाली मुँह से फुकला से, तूफान ना होइ

तु लिखत रहऽ बस ,लोग के भले कहे द
जले तु ना चहबऽ,तहार नुकसान ना होइ

आरे आदमी हवऽ लो,की पथर हवऽ लो
माई भाषा ला,एतनो स्वाभिमान ना होई?

जदि मये लोग आजो से,मन से लगले,त
'भोजपुरियन' के मेहनत,जियान ना होई

- मिथिलेश मैकश

जिंदादिली जिंदगी जीना है तो, मरने का भी खतरा रहता है।

घर मजबूत ना हो तो, मकान हिलने का भी
खतरा रहता है,
अगर तेज़ बारिश हो तो, दीवार गिरने का भी
खतरा रहता है।

किसी का घर जलते देखता हूँ, निकल जाता हूँ
पानी लेकर,
मुहल्ले में घर है तो, अपना घर जलने का भी
खतरा रहता है।

फ़ासलें जरूरी हैं, घर में, रिश्तें में और इश्क़
मुहब्बत में भी,
आग के पास जाने से, मोम पिघलने का भी
खतरा रहता है।

आसाँ नहीं है ऐ वक़्त, इस कदर हवा के रुख़
को मोड़ देना,
जिंदादिली जिंदगी जीना है तो, मरने का भी
खतरा रहता है।

हम पीछे रह जायें दोस्तों से बेशक़, कोई बात
नहीं 'मैकश',
जिंदगी में कई जगहों पर, आगे बढ़ने का भी
खतरा रहता है।

- मिथिलेश मैकश
  #छपरा