Tuesday, 8 August 2017

देखs अब इ दुनिया मे बुढ़ पुरनिया के अब केहु पूछत नईखे।

एगो लइका बा ,त उ दारूये मे
दुसरका उझराइल मेहरारूये मे
एगो पत्नी बारी
जे साथ बारी
पतोह अलगा कइलस
अकेले खात बारी
बेटी जबले रहत रहे
मान खयाल रखत रहे
अभियो जब ससुरा से आयेले
बिना भेट कइले ना जायेले
अपना सोझा अब
दोसर केहु
केहु के रुचत नइखे
देखs अब इ दुनिया मे
बुढ़ पुरनिया के
अब केहु पूछत नईखे।

मुरचा जइसे लाग जाला
जब लोहा के संग मे
अपने पिसाला लोग
अपने ही जंग मे
मिले ना आराम
अब त कवनो अलंग मे
एगो पोता बा
त उहो बा अलगे रंग मे
का रहे इतिहास
अब का हो गईल बा
कोना मे के खटिया
घर मे भार हो गईल बा
लड़िका जब सयान होता
त बाप माई के भेलुु
कबो बुझत नईखे
देखs अब इ दुनिया मे
बुढ़ पुरनिया के
अब केहु पूछत नईखे।

किशमिस छोहारा खियावल
सब बेकार भइल
कांहा पे लेके मेला घुमावल
सब बेकार भइल
मजूरी क के सबचिज लावल
सब  बेकार भइल
निपढ़ रहके बेटा के पढ़ावल
सब बेकार भइल
कुफुत के मारे घर मे
जियल जात नईखे
अपने जामल देखs
साथे अब खात नईखे
हंसी मज़ाक बचपना
लरिकाई के किलकारी
गली मे गुंजत नइखे
देखs अब इ दुनिया मे
बुढ़ पुरनिया के
अब केहु पूछत नईखे।

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

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