दोस्ती के आँगन मे....कबो घाम ना होला
बिन यार संघाती के...कुछु काम ना होला
जान तक दे देबेले...दोस्त..दोस्तन खाती
बाकी चरचा मे कही...कुछु नाम ना होला
अरे यारे संघाती त..अईसन चीज ह मरदे
जवना केे कीमत आ कवनो दाम ना होला
मिल जइहे जब दुगो..कही लंगोटिया यार
बिना गारा गारी भइले ...प्रणाम ना होला
जाहा मिल जइहे ....तहें उ सुरु हो जइहे
कबो पार्टी खाती..बिसेस पलान ना होला
का खरचा भइल..आ केतना गरदा उड़ल
पईसा हिसाब किताब के..ध्यान ना होला
चाहे दुख होखे....चाहे सुख होखे 'मैकश'
एगो दोस्त कबो दोस्त से परेसान ना होला
एक भोरे से साँझ हो जाला..घूमत घूमत
तबो तबियत कबो केहु के बेराम ना होला
दोस्त बारे तबे हसत खेलत इ दुनिया बा
सच कही त बिना इनके आरान ना होला
कबो कृष्ण त कबो..सुदामा बनके अइले
के कहता की दोस्त....भगवान ना होला।
#मिथिलेश_मैकश
#छपरा
#लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
#रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी
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