Saturday, 2 December 2017

बाबू हो बियाह मत करऽ

*बाबू हो बियाह मत करऽ*

जिनगी भर के साजा ह
बियाहे ले बस माजा ह
टेंशन फिकिर कुछ नाही
कुँवार आदमी राजा ह
बिना कइले काचा बाच्चा
बनल रह सबके चाचा
आगे के ना टेंशन रही
नींद पड़ी आछा आछा

परमानंद रहऽ स्वरगानंद रहऽ
तु मन से विवेकानन्द रहऽ
बन जा मर्दे अटल बिहारी
आ जीवन में आनंद रहऽ
समय इहे बा खालऽ पीलऽ बाबू
जिनगी आपन जीलऽ बाबू
काँट फाट के चक्कर छोड़ऽ
गेंदा नियन खिलऽ बाबू

रिस्क बा ई खेला में
मत पड़ झमेला में
जादा सोच ना ए राजा
माजा त बा अकेला में
गोटाइल रहऽ मोटाइल रहऽ
खा पी के तु अघाईल रहऽ
दुवारे अगुवा लउके जे त
दोबा में लुकाइल रहऽ

अंडा नियन गोल हवे
बहुत बड़का झोल हवे
बरमूडा त्रिकोण दादा
शादी ब्लैक होल हवे
एक बेर जे फसल बा
दोबारा ना उ हँसल बा
नट के नीचे सुती जइसे
टाइट क के कसल बा

ना सेविंग ना जामा होई
PF पे रोज हंगामा होई
छेका तिलक ट्रेलर हवे
बियाह के बाद ड्रामा होई
जवन कहिले उ बात बुझऽ
एके ना दाल भात बुझऽ
कुँवार अँजोरिया पूर्णिमा ह
बियाह अन्हरिया रात बुझऽ

बजा दि जीवन के अइसन डीजे ह
बिना कार्ड के अंगया बिजे ह
धरती पे पता ना लागल ना आजो
एगो अलगे इहो चीजे ह
ना घोटल जाये ना फेंकल जाये
जियल बड़ा जंजाल हो जाला
लेके बस चुभलावत रहऽ
चिलगम वाला हाल हो जाला

अकेले जिनगी काटे के आह्वान करऽ
चल जा कहीं गुफा में तु ध्यान करऽ
ग्रोथ नइखे शादी के सेक्टर में
कहीं आउर इन्वेस्ट प्लान करऽ
काचकाड़ा के ई पाया हऽ
हनी  ट्रेपवा  ई  नाया  ह ऽ
बियाह बियाह मत रटल करऽ
सब  ई  मोह  माया  हऽ

एगो सुबह एगो शाम बाटे
हल्का फुल्का काम बाटे
बियाह में बड़ी तामझाम
कुँवारे  में  आराम  बाटे
ना घोड़ा बा ना गाड़ी बा
परिवार बड़ जिमेवारी बा
बियाह जे क लेलस दादा
खतरों के खिलाड़ी बा

एक त बेरोजगारी बा
नौकरी के मारा मारी बा
आपन देखब कि दोसरा के
इंहा देह चलावल भारी बा
बाली टिका हार चाही
सजे के सिंगार चाही
हर हफ्ता के दु दिन बाबू
शनिचर आ एतवार चाही

च्वाइस ई कइसे पूरा होई ?
ख्वाइस कइसे पूरा होई ?
मेहरारू कुछ कुछ मांगी त
फरमाइस कइसे पूरा होई ?
मैडम लोग के खरीदारी पे
महंगा स्टोन वाली साड़ी पे
आ जइब तु एके हाली
जॉकी से अमूल,कोठारी पे

मैडम रुसिहैं त मनाये के रही
रोटी बेले आ बनाये के रही
रात भर लईका सुते ना दी
आ भोरे ड्यूटी जाये के रही
कबो साली कबो साला होई
मार पईसा के देवाला होई
किचिर फिचिर रोजे रोजे
बात - बात  प  हाला होई

कुँवार जइसे हिन्दी ह,हिस्ट्री ह
बियाह त फिजिक्स,केमेस्ट्री ह
कुंवारन मे फरमुला नइखे
शादी अलजेब्रा,ट्रीगोनेमेट्री ह
लाजे केहु से कुछ ना कहत होई
मुड़ी गाड़ के चुपचाप रहत होई
हम त बानी अकेला इहे सोचिले
बियाहल आदमी कइसे रहत होइ

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