Wednesday, 19 April 2017

ना साफ़ कर समय से त , रिश्ता पे धूल जमे लागेला

ई इक्कसवीं सदी ह, इहां लोग जल्दी ही भूले लागेला
ना साफ़ कर समय से त , रिश्ता पे धूल जमे लागेला 

जहाँ भी रहऽ आपन पहचान बना के रखऽ , काहेकी
जे काम के चीज ना होले,ओके लोग बाहर रखे लागेला

कबो कबो लागेला की दु चार,थापर लगा दी लइका के
काहेकी जादा प्यार कईला पर ,नखरा बदले  लागेला

एगो समय रहे जब साँझ होते ही ,दीया जरे लागत रहे 
आ आज एगो समय बा कि ,साँझ होते दिल जरे लागेला

हमेशा अकेले गुमसुम रहल , ई ठीक ना ह "मैकश "
सीधवा सिधवा कहके फिर लोग, पागल कहे लागेला 

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

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