Wednesday, 19 April 2017

जय जवान.....मुँह से....पर दिल से नहीं

आखिरकार BSF जवान को ...सेना से बर्खास्त किया गया

ये उसकी गलती थी कि जवानो के खाने की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे

क्या सही में जवानों का खाना ....फौज के अधिकारियों जैसा होता है ....निश्चित ही ....इसका जवाब है ...नहीं

क्योंकि अगर खाना एक जैसा होता तो ....जवान और अधिकारियों के लिये अलग अलग रसोईघर नहीं होते ?

भारतीय सेना की अपनी अँग्रेज़ों की जमाने वाली न्यायिक प्रक्रिया है ...जिसमें आरोप लगाने वाला , और आरोप की सुनवाई करने वाला ...दोनो ही ...अधिकारी वर्ग ही होता है

ये  सच्चाई लगभग सभी जानते हैं.... पर जवानों की सही शिकायत का मलाल ही किसे है  ?

क्योंकि इस देश में गरीब और जवान को पूछने कोई नहीं है.....और दुर्भाग्यवश .....गरीब का लड़का ही ....(शायद कुछ को छोड़कर ) ...सेना के जवान बनते हैं

वो दोनो मजबूरियों को ...गरीब और जवान की....भलीभांति  समझते हैं

एक तरफ कुआँ है तो दूसरा तरफ खाई है....जाए तो किधर जाए

एक बार फिर से ....दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में....जहाँ सबको आजादी है ....एक गुलाम (अनुशासन के नाम पर ) की सही आवाज को दबा दिया गया...

अच्छा हुआ ....अब सदियों तक ....कोई दूसरा गुलाम आवाज नहीं उठाएगा....

अब शर्म आती है उनपर
जो सिर्फ ...जय जवान बोलते हैं
पर जवानों की सुनते नहीं है....

फिर हमें ....आँखों पर पट्टी बाँधे उस न्याय की मूर्ति को हमें नमन करना ही होगा

             जय हिन्द

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