ऐसे जब तुम मुस्काती हो
गजब कयामत ढाती हों
खुद को रोक नहीं पाता मै
जब भी तुम शरमाती हो
छुप जाता है चाँद बदली में
छत पे जब भी आती हो
वो नशा नही है मदिरा में
सुरूर बनके चढ़ जाती हो
कहती हो, याद नही करता
यादों से निकल नहीं पाती हो
मेरी जिंदगी एक दीया है
और तुम उसकी बाती हो
कैसे बयां करू इस रिश्ते को
दिल मनोज का धड़काती हो
- मनोज मैकश
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