Saturday, 12 May 2018

लानत है हमे ऐसी अभिव्यक्ति पर जो सवाल खड़ा करें देशभक्ति पर

क्या मन माफिक अभिव्यक्ति और देशभक्ति दोनों एक साथ संभव है ?
क्या ऐसी परिस्थिति दुनिया के किसी और देश में देखने को मिलती है ?

परन्तु भारत में ऐसी सोच को सही ठहराया जा रहा है उनके समर्थन में लोग खड़े भी हो रहे हैं !
इसी सन्दर्भ में मैंने कुछ लिखने का एक छोटा सा प्रयास किया हूँ

लानत है हमे ऐसी अभिव्यक्ति पर
जो सवाल खड़ा करें देशभक्ति पर

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चन्दन जैसे मसलों पे अब
चुप नहीं रहूँगा मै
जिनको ज्यादा खुजली है
उनसे तो ये कहूँगा मै

देश में रहके देश ग़द्दारी
देखो कितनी हिम्मत है
उनको भेजो पाकिस्तान
जिसे यहाँ पे दिक्कत है

अब जो थोड़ी देर होगी
तो नुकसान हो जायेगा
एक ही भारत में यहाँ
कई पाकिस्तान हो जायेगा

देश का जो हाल है
महाभारत होनेवाला है
उसे हँसा सकते नहीं
जो हरदम रोनेवाला है

संविधान पे जो आँख दिखाये
उनको ये बता दु मै
देशद्रोही कहके उन्हें
घर से बाहर भगा दु मै

भारत में रहकर जो
पाकिस्तान जय करता है
उसको मारो गोली जो
अफ़जल गुरु पे मरता है

भारत में रहने वाले इस
बात को क्युँ भूल जाते हैं
जिसने हमें जन्म दिया
उस बाप को क्युँ भूल जाते हैं

पाले पोसे जिनको हमने
इतना सारा प्यार दिया
हर मुसीबत हर वक्त में
जिनका बेड़ा पार किया

देखो भाई आज उसी ने
दिल्ली में दिल को तोड़ा है
खाना पीना बन्द करो
ये पाकिस्तानी घोड़ा है

पंचवटी की कुटिया में
अब कोई मृग नजर ना आये
लक्ष्मण रेखा खिंच दो तुम
कोई रावण आ ना पाये

बच गए दुर्योधन जो
उनसे ही बदला लेना है
अर्जुन धनुष उठा लो तुम
ये कौरवो की सेना है

कहने की आजादी है तो
छाती ठोक कर कहता हूँ
भारत का मै बेटा हूँ
शत्रु से नहीं मै डरता हूँ

हाथ बढ़ाके हाथ मिलाके
सबके साथ चलना होगा
देश में रहना होगा तो
वंदे मातरम् कहना होगा

देश के भीतर हर जगह
तिरंगा ही तिरंगा होगा
एक है अपना देश तो
बस एक ही झंडा होगा

                      _  मनोज कुमार

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