अगर वीरान होगी धरा तो
सींच कर मधुवन करेगा कौन ?
बेटी न रहेगी तो फिर
जग का सृजन करेगा कौन ?
उड़इहैं जहाज बेटी ,
नाम करीहें देश के
बेटी के कम ना बुझी
काम करीहें देश के
अगर वीरान होगी धरा तो
सींच कर मधुवन करेगा कौन ?
बेटी न रहेगी तो फिर
जग का सृजन करेगा कौन ?
उड़इहैं जहाज बेटी ,
नाम करीहें देश के
बेटी के कम ना बुझी
काम करीहें देश के
#समय
समय, आन्ही , तूफान, हवा के बवंडर हऽ
समय, वीर कुँवर सिंह, समय सिकन्दर हऽ
समय सर्वग, समय सनातन
समय के प्रणाम करऽ
समय के सलाम करऽ
काल, महाकाल, तीनों लोक, दृश्य इहे ह
गुरु -शिष्य, वर्तमान, भूत, भबिष्य इहे ह
समय, समय ना दिही
समय से काम करऽ
समय के सलाम करऽ
समय श्रेष्ठ, समय तेज, समय सत हवे
समय ब्रह्म, समय अदृश्य, शाश्वत हवे
समय निधान, समय बिधान
ना सुत, ना आराम करऽ
समय के सलाम करऽ
© मिथिलेश मैकश
PC : Abhishek Shekhar
अभिषेक बुआ के जुनून आ बेहतरीन , जबर फोटोग्राफी खाती उनुकर पेज PFAPC क लाईक करी।
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#भोजपुरी_आपन_माई_हियऽ
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मान करऽ ,सम्मान करऽ
बोले में स्वाभिमान करऽ
आपन देश आपन माटी के परछाई हियऽ
अमृत गंगाजल हिरदया जइसे गाई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
भोजपुरी भाषा,संस्कृति, एगो इतिहास हियऽ
आगी के लिट्टी चोखा के, सोन्ह मिठास हियऽ
समरीध फलल फूलल,भाषा बड़ी महीन हियऽ
जेही सुनेला कहेला,हिन्दी के छोट बहिन हियऽ
मिठ बोली लागे जइसे कि मिठाई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
हमार करम धरम , कुल्ही पहचान हियऽ
बाबू के चिंहासी , माई के निशान हियऽ
कइसे भुलाई लड़ीकाई के संघाती हियऽ
हमार बाबा आजी के पोसल थाती हियऽ
चान के अँजोरिया, सुरुज के ललाई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
भोजपुरी आपन माई हियऽ
© मिथिलेश मैकश
#छपरा
*गइलो से गइल बुरा हाल बा भोजपुरी के*
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कइसे चुप रही, ई सवाल बा भोजपुरी के
गइलो से गइल बुरा हाल बा भोजपुरी के
कहीं समियाना त ओठलाली, बोरता बेयास लो
अश्लील त अश्लील ,देवतो ना छोड़ता बेयास लो
लाजो ना लागे कवन मुँह ,देखावता बेयास लो
गीत माई बहिन के अइसन ,गावता बेयास लो
इज्जत सम्मान ना खियाल बा भोजपुरी के
गइलो से गइल बुरा हाल बा भोजपुरी के
मुड़ी गाड़ के चलता ,आ मुड़ी गाड़ के रहता लो
मुड़ी गाड़ के सुनता पर ,केहु कुछ ना कहता लो
केकरा के समझावत फिरी,मार हो हल्ला मचल बा
बजाव लो जवन मन करे,अब इहे दिन नु बचल बा
नेता अभिनेता सब दलाल बा भोजपुरी के
गइलो से गइल बुरा हाल बा भोजपुरी के
कुछ लो के चक्कर में ,मये जनता लाचार बिया
शासन प्रशासन ठंड ,आ ठंड भी सरकार बिया
आग ध लेता देह भीतरी, साँचो बड़ा खलता
मना कइला पे जब लोग, कहता इहे चलता
कमाता ,इंडस्ट्री मालामाल बा भोजपुरी के
गइलो से गइल बुरा हाल बा भोजपुरी के
- मिथिलेश मैकश
छपरा
*बाबू हो बियाह मत करऽ*
जिनगी भर के साजा ह
बियाहे ले बस माजा ह
टेंशन फिकिर कुछ नाही
कुँवार आदमी राजा ह
बिना कइले काचा बाच्चा
बनल रह सबके चाचा
आगे के ना टेंशन रही
नींद पड़ी आछा आछा
परमानंद रहऽ स्वरगानंद रहऽ
तु मन से विवेकानन्द रहऽ
बन जा मर्दे अटल बिहारी
आ जीवन में आनंद रहऽ
समय इहे बा खालऽ पीलऽ बाबू
जिनगी आपन जीलऽ बाबू
काँट फाट के चक्कर छोड़ऽ
गेंदा नियन खिलऽ बाबू
रिस्क बा ई खेला में
मत पड़ झमेला में
जादा सोच ना ए राजा
माजा त बा अकेला में
गोटाइल रहऽ मोटाइल रहऽ
खा पी के तु अघाईल रहऽ
दुवारे अगुवा लउके जे त
दोबा में लुकाइल रहऽ
अंडा नियन गोल हवे
बहुत बड़का झोल हवे
बरमूडा त्रिकोण दादा
शादी ब्लैक होल हवे
एक बेर जे फसल बा
दोबारा ना उ हँसल बा
नट के नीचे सुती जइसे
टाइट क के कसल बा
ना सेविंग ना जामा होई
PF पे रोज हंगामा होई
छेका तिलक ट्रेलर हवे
बियाह के बाद ड्रामा होई
जवन कहिले उ बात बुझऽ
एके ना दाल भात बुझऽ
कुँवार अँजोरिया पूर्णिमा ह
बियाह अन्हरिया रात बुझऽ
बजा दि जीवन के अइसन डीजे ह
बिना कार्ड के अंगया बिजे ह
धरती पे पता ना लागल ना आजो
एगो अलगे इहो चीजे ह
ना घोटल जाये ना फेंकल जाये
जियल बड़ा जंजाल हो जाला
लेके बस चुभलावत रहऽ
चिलगम वाला हाल हो जाला
अकेले जिनगी काटे के आह्वान करऽ
चल जा कहीं गुफा में तु ध्यान करऽ
ग्रोथ नइखे शादी के सेक्टर में
कहीं आउर इन्वेस्ट प्लान करऽ
काचकाड़ा के ई पाया हऽ
हनी ट्रेपवा ई नाया ह ऽ
बियाह बियाह मत रटल करऽ
सब ई मोह माया हऽ
एगो सुबह एगो शाम बाटे
हल्का फुल्का काम बाटे
बियाह में बड़ी तामझाम
कुँवारे में आराम बाटे
ना घोड़ा बा ना गाड़ी बा
परिवार बड़ जिमेवारी बा
बियाह जे क लेलस दादा
खतरों के खिलाड़ी बा
एक त बेरोजगारी बा
नौकरी के मारा मारी बा
आपन देखब कि दोसरा के
इंहा देह चलावल भारी बा
बाली टिका हार चाही
सजे के सिंगार चाही
हर हफ्ता के दु दिन बाबू
शनिचर आ एतवार चाही
च्वाइस ई कइसे पूरा होई ?
ख्वाइस कइसे पूरा होई ?
मेहरारू कुछ कुछ मांगी त
फरमाइस कइसे पूरा होई ?
मैडम लोग के खरीदारी पे
महंगा स्टोन वाली साड़ी पे
आ जइब तु एके हाली
जॉकी से अमूल,कोठारी पे
मैडम रुसिहैं त मनाये के रही
रोटी बेले आ बनाये के रही
रात भर लईका सुते ना दी
आ भोरे ड्यूटी जाये के रही
कबो साली कबो साला होई
मार पईसा के देवाला होई
किचिर फिचिर रोजे रोजे
बात - बात प हाला होई
कुँवार जइसे हिन्दी ह,हिस्ट्री ह
बियाह त फिजिक्स,केमेस्ट्री ह
कुंवारन मे फरमुला नइखे
शादी अलजेब्रा,ट्रीगोनेमेट्री ह
लाजे केहु से कुछ ना कहत होई
मुड़ी गाड़ के चुपचाप रहत होई
हम त बानी अकेला इहे सोचिले
बियाहल आदमी कइसे रहत होइ