Wednesday, 22 March 2017

माई ...का हई ?

छाती जब पीटेली... त सुखार आ जाला
माई जब भी रोवेली...त बाढ़ आ जाला।

माई जब उदास रहे....त मये फिका लागे
माई जे हसेली..त सगरो बहार आ जाला।

अकेले मये रात जागल रहे..बेटा खातीर
जदी बेटा के..तनिको बोखार आ जाला।

तनि मुनि जब कुछऊ हो जाला लइका के
त माई पे लागे...जइसे पहाड़ आ जाला।

माई जेतना क देली दोसर ओतना के करी
माई के छोटहन अचरा मे संसार आ जाला।

जरूरत परेला जब दुनिया के,त ईहे माई
बन जाली दुर्गा हाथ मे तलवार आ जाला।

माई के बनावल रोटी मे...बहुते तागद बा
आ छुअल पानी मे ,अमृत धार आ जाला ।

माई जवना काम मे हाथ लगा देबे 'मैकश'
त रुकल जिनगी मे भी रफ़्तार आ जाला ।

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