Monday, 24 December 2018

आज का दौर

ये 2018 का दौर है....ये दौर है, मैग्गी माइंडेड लोगों का। जहाँ पब्लिक के पास मात्र दो मिनट है पब्लिक के लिए। जहाँ 1 मिनट 31 सेकेंड होते ही जनता 100 डिग्री सेल्सियस के ताप पर बॉयल होना शुरू कर देती है और 1 मिनट 59 सेकेंड होते ही रिलेशन का ताप शून्य से नीचे चला जाता है।

ये दौर है मल्टीटास्किंग का, रजनीकांत का.. जहाँ राइट हैंड से डिनर करना है तो लेफ्ट हैंड से मोबाइल सेट पकड़ना है,एक कान से इयरफोन से सुनना है तो दूसरे कान से लोगों को सुनना है। ये दौर है एक्ट्रीमली हेक्टिक शेड्यूल का जहाँ बाईक पे पीछे बैठ के व्हट्सएप, फेसबुक रिप्लाय करना है तो मेट्रो में खड़े खड़े डेटा ट्रांसफर करना है, एंड्रॉयड अपडेट करना है। ये दौर कॉन्टेक्ट्स सेभ करने का दौर है, वीडियो सेभ करने का दौर है...लाइफ सेभ करने का नहीं।ये दौर है, दौड़ने का.. जहाँ रुकना मना है और सुबह से शाम तक भागना है।

हम उस दौर में जहाँ सभी अपने भी है और कोई अपना भी नहीं है। ये वक़्त है उस दौर का जहाँ बात बनाने के लिए हजारों बातें हैं और दिल बहलाने के लिए एक भी बात नहीं है। ये दौर है गिरगिट का, कलर चेंजिग का,टोपी पहनाने का, हुशियारी का, अपना उल्लू सीधा करने का। जहाँ मुफ़्त में लोगों को हर चीज चाहिए और क़ीमत में कुछ नहीं। ये दौर है निठल्लेपन का, जुमलेबाजी का,बात बेचने का  और सपने बेचने का। ये दौर चोर का है, शोर का है। जहाँ करने को कुछ नहीं है और हल्ला करने को बहुत कुछ है।

ये दौर है छद्म देशभक्ति का, शो ऑफ का, मार्केटिंग का, बिजनेश का,रुपये का। जहाँ फ्लैग और स्वैग पे राजनीति है और बिल्ली आराम से दूध पीती है। ये दौर लस्सी, छाछ, जूस का नहीं, चापलूस का है। ये दौर है, मुद्दे का ,विषय का, जहाँ एक भी विषय नहीं है मुद्दे का।

- मिथिलेश मैकश
  छपरा

No comments:

Post a Comment