Wednesday, 25 July 2018

कबो कबो फोन छोड़ी ,हमरो से बतिया लिहल करऽ

सबसे पहिले जन्मदिन के भरपेट बधाई पंकज भाई।
माई सरस्वती के आसिरबाद अइसहि रउवा प बनल रहे।
जेतना बढ़िया राउर रचना होला ओसे जादा बढ़िया दिल के रावा इंसान हई।
एगो नीठाह भोजपुरिया के नाम से रावा के लोग जानेला। आपन मातृभासा खाती जेतना रावा मेहनत करीला, ओकरा बारे में जेतना कहब ओतने कम बा।
फेसबुक प प्रीतम पाण्डेय सांकृत भाई आ पंकज भाई के हसी मजाक के दुनिया जानत बा। Abhishek Shekhar बुआ के दुलार प्यार तहरा प हमेसा रहेला। आखर के रउवा दुलरुआ बबुआ हई।
फेसबुक प राउर कम से कम 350 लाइक होला।ट्विटर प सैकड़ो लोग रावा के फॉलो करेला।
परदेश में भी रहके देसी लुक केहु रावा से सीखे। हम राउर कविता के बड़का बेना हई आ हमरा एह पे नाज बा।

# एगो आउर बढ़िया बात बतावल चाहत बानी जेतना बढ़िया राउर रचना होला ओसे बढ़िया राउर गायकी बा।राउर आवाज के जवाब नइखे। करेजा काढ़ लेबेला। बड़ी चाव से राउर गीत सुनीला।

# एगो हास्य कविता लिखले रही रावा प..
दिल पे मत लेहम

एकबेर ना हमेसा के बात ह #आरोही के मम्मी बड़ी परेसान रहली ,इंकर मोबाइल चलइला के कारण..त का मन के भाव रहे..उहे लिखत बानी...सुनी ए आरोही के पापा

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ओफ़िस के  काम  ,ओफ़िसे में  सेटिया लिहल करऽ
कबो कबो फोन छोड़ी,हमरो से बतिया लिहल करऽ

आज त तु कुछ बोलऽ मत,बस चुपचाप कहे द
लेपटॉप , मोबाईल बन करऽ , घर के घर  रहे द
बात जवन कहत बानी, मन में अटिया लिहल करऽ
कबो कबो फोन छोड़ी ,हमरो से बतिया लिहल करऽ

के मति मरलस तहार , एको अन्न नाही रुचऽता
एक हाथे मोबाइल , दूसरे हाथ में रोटी सूखऽता
हमार ना मानऽ , लईकवा के त पतीया लिहल करऽ
कबो कबो फोन छोड़ी,हमरो से बतिया लिहल करऽ

दिन भर टुक टाक मेसेज ,भेज तारऽ स्टाइल से
जे मन नइखे भरत त , कल बियाह मोबाइल से
जा होजा हलुका ,आ मन के खलिआ लिहल करऽ
कबो कबो फोन छोड़ी ,हमरो से बतिया लिहल करऽ

#मिथिलेश_मैकश
#छपरा

      #लिखीं_भोजपुरी_पढ़ीं_भोजपुरी
                 #रउवा_बढ़ब_बढ़ी_भोजपुरी

Sunday, 22 July 2018

जिनगी में बड़ा दुख बा ,बुझऽ तानी |

घर गीरहस्ती से त ,हमु जूझऽ तानी
जिनगी में बड़ा दुख बा ,बुझऽ तानी |

साटत रहऽ चिपि ,कबो ना कबो फाटही के बा
भाग में जेतना लिखल बा , उ त काटही के बा
सुते के केकर ना मन ह?,बाकी उठऽ तानी
जिनगी में बड़ा दुख बा ,बुझऽ तानी |

समय अइसन जोखलस कि, ना उबारा भइल
जिनगी तऽ जइसे ,तरजुइ के बाटखारा भइल
कछले बानी,आंख खोल तानी मुदऽ तानी
जिनगी में बड़ा दुख बा ,बुझऽ तानी |

लमटेन के बुतइला से ,जल्दी बिहान ना होला
पेट के पोसल मैकश ,एतना आसान ना होला
घोसार के आंच प,भुजा लेखा कूदऽ तानी
जिनगी में बड़ा दुख बा ,बुझऽ तानी |

- मिथिलेश मैकश
  छपरा